पुनौराधाम में सीता कुंड व जानकी स्थान जानकी मंदिर के उर्विजा कुंड में प्रकट हुईं माता जानकी
सीतामढ़ी। ..और मां जानकी के प्रकट होते ही जानकी नगरी सीतामढ़ी धन्य-धन्य और निहाल हो गई।

सीतामढ़ी। ..और मां जानकी के प्रकट होते ही जानकी नगरी सीतामढ़ी धन्य-धन्य और निहाल हो गई। 11 बजकर 59 मिनट पर माता सीता के जन्म लेते ही फूलों की वर्षा होने लगी। शंख ध्वनि से जानकी जन्मस्थली पुनौरा धाम, जानकी मंदिर व जानकी स्थान रजत द्वार जानकी मंदिर गुंजायमान हो उठा। घंटा, ढोल बजने लगे। जय जानकी जय श्रीराम के उदघोष से पूरा वातावरण गूंजने लगा। रजत द्वार जानकी मंदिर में महंत विनोद दास व पुनौरा धाम जानकी मंदिर में महंत कौशल किशोर दास सहित अन्य श्रद्धालुओं ने महाआरती की। मंदिरों में बधाई और सोहर गीत गाए गए। पुनौराधाम में सीता कुंड व जानकी स्थान जानकी मंदिर में उर्विजा कुंड में एकसाथ माता का जन्मोत्सव हुआ। रजत द्वार जानकी मंदिर में महंत बिनोद दास और पुनौरा धाम जानकी मंदिर में महंत कौशल किशोर दास सहित अन्य श्रद्धालुओं ने महाआरती की। मां के जन्म के साथ महिलाएं गाने लगीं बधाई व सोहर गीत धन्य धन्य मिथिला नगरिया कि धन्य भेल जनकपुर रे आहे धन्य भेलै पुनौरा के धाम के सिया जी जनम ले ल रे..,रघुवर की प्राण प्रिया भजो रे मन सिया सिया, मिथिला के बधाई गीत अंगने में बधैया बाजे, राजा जी के द्वारे बाजत शहनाइयां, बाज रही घनघोर बधाई बाज रही और आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया आदि गाकर महिलाएं जन्मोत्सव मना रही हैं। सोहर गीत कहमा ही जन्मे श्रीराम कहमा माता सीता जन्ममे हे एवं प्रथम गणेश पद पाइब देवता मनाईब हे गीत से भक्ति की धारा बह रही है। प्रख्यात लेखिका व जनक दुलारी पुस्तक की रचयिता आशा प्रभात ने कहा कि मिथिला ही ऐसा क्षेत्र है जहां बालिका के जन्म पर भी बधाई गीत गाए जाते हैं। उन्होंने जानकी नवमी पर बधाई गीत व सोहर गाए। बधाइयां बधाइयां बधाइयां हे आजू-बाजू मिथिला में बाजे बधाइयां हे। ललक जनम सुनी आई, सुनैना माई दे दू बधाई.., कोठा ऊपर कोठरी कोठरी ऊपर झरोखा हई गे ललना..केहिये लुटावले अन्न धन सोनवा खेलब हरि झुमरी, अब कहिये लुटावले धनु गईया खेलब हरि झुमरी
मिथिला में सीता जी के जनम भयो हरि झुमरी, मिथिला में बाजे ला बधाई खेलब हरि झुमरी..।
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