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    Sitamarhi News: रातो नदी में आएगी बाढ़ तो मचेगी तबाही! तीन साल में 3 किमी ही बना तटबंध

    By Jagran NewsEdited By: Piyush Pandey
    Updated: Sun, 18 May 2025 06:00 PM (IST)

    नेपाल से निकलकर भारत में प्रवेश करने वाली रातो नदी में हल्की बारिश से ही बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है। भारत-नेपाल सीमा के पास 17 किमी तक तटबंध नहीं होने से खतरा और बढ़ गया है। तीन साल पहले निर्माण शुरू हुआ लेकिन केवल तीन किमी तक ही मिट्टीकरण का काम हो पाया है। बाढ़ आने पर डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों में तबाही की आशंका है।

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    तीन साल में तीन किमी तटबंध का हुआ मिट्टीकरण। (जागरण)

    संवाद सहयोगी, चोरौत। नेपाल से निकलकर भारत में प्रवेश करने वाली रातो नदी में हल्की बारिश में ही उफान आ जाता है। भारत-नेपाल बॉर्डर भिट्ठामोड़ से मधुबनी जिला सीमा पिरौखर तक 17 किमी में यह नदी तटबंधविहीन है। जिसके कारण इस नदी में हल्की बाढ़ आने पर ही आसपास के गांव में भारी तबाही मच जाती है।

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    उक्त तटबंधविहीन 17 किमी में तटबंध निर्माण कार्य तीन साल पहले ही बीएससीपीएल हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा निर्माण कार्य शुरू किया गया। तीन साल में मात्र तीन किमी में मिट्टीकरण का काम पूरा किया गया है। इसके बाद निर्माण कार्य रोक दिया गया।

    इस साल भी रातो नदी में बाढ़ आई तो तटबंधविहीन इस क्षेत्र के डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों में भारी तबाही मचाएगी।

    रातो नदी में संभावित बाढ़ की आशंका को लेकर सुरसंड, चोरौत व पुपरी प्रखंड के भिट्ठामोर, भिट्ठा, दिवारी, मतौना, सिमीयाही, यदुपट्टी-डुमरवाना, परिगामा, बसोतरा, भंटाबारी, चोरौत, घुघला, पुराण्डिह, बहिलबारा आदि गांव के लोगों को चिंता सता रही है।

    हालांकि, कार्यपालक अभियंता ने कहा है कि संभावित बाढ़ के मद्देनजर कार्य शुरू किया जा रहा है। निर्माण कंपनी को नोटिस जारी किया गया है। तटबंध निर्माण का कार्य शीघ्र ही शुरू किया जाएगा।

    छह साल पहले तटबंध निर्माण को किया गया था सीमांकन

    स्थानीय लोगों की मानें तो साल 2018 में विभाग ने तटबंध निर्माण को लेकर सीमांकन किया था। जो नदी के वर्तमान बहाव से 300 मीटर में लाल झंडी गाड़कर सीमाकंन किया। तटबंध निर्माण को लेकर विभाग ने संबंधित किसानों की निजी जमीन 23 मीटर चौड़ाई में अधिग्रहण भी किया।

    इसमें तटबंध पर पांच मीटर चौड़ा वैकल्पिक मार्ग का निर्माण किया जाना है। इस तटबंध के निर्माण होने से किसानों के हजारों हेक्टेयर क्षेत्रों में धान की उपज अच्छी होगी। तीन साल पहले निर्माण कार्य शुरू होने से किसानों को लगा कि अब उनकी फसल सुरक्षित रहेगी।

    लेकिन, तीन साल में मात्र तीन किमी में मिट्टीकरण का काम पूरा कर निर्माण कार्य बंद कर दिया गया। इसे लेकर किसान और समाजसेवियों द्वारा आवाज उठायी जा रहा है।

    हल्की बारिश में ही रातो नदी मचाही है तबाही

    देवेंद्र नाथ ठाकुर, मोहन ठाकुर, बदियल चौधरी, बजरंगी चौधरी, आकाश राउत, लालबाबू ठाकुर आदि बताते है कि नेपाल से निकलने वाली रातो नदी में हल्की बारिश से ही उफान आ जाता है। जो तटबंध विहीन क्षेत्र में भारी तबाही मचाती है।

    बारिश के दिनों में गांव का संपर्क प्रखंड मुख्यालय से टूट जाता है। खेतों में लगे धान की फसलें बर्बाद हो जाती हैं, नेपाल में हल्की बारिश होने पर ही चोरौत, सुरसंड व पुपरी प्रखंड के गांव प्रभावित होते है।

    रातो नदी के चिह्नित क्षेत्र में तटबंध निर्माण कार्य शुरू कराने को लेकर कार्यकारी एजेंसी को नोटिस दी गयी है। शीघ्र ही निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा। इसकी पहल की जा रही है। संभावित बाढ़ से बचाव को लेकर पूरी तैयारी की जा रही है। -भास्कर कुमार, कार्यपालक अभियंता, बागमती।