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    Bihar News: समस्तीपुर के सरकारी अस्पतालों में जांच न होने से मरीज परेशान, बिचौलियों का हो रहे शिकार

    Bihar News रिपोर्ट के अनुसार 10 अस्पताल में मरीजों को पैथोलॉजी जांच की सुविधा नहीं दी जा रही है। यहां पिछले चार महीने से जांच में उपयुक्त किए जाने वाले केमिकल नहीं लिए जा रहे हैं। जुलाई अगस्त व सितंबर के लिए भी डिमांड नहीं किया गया।

    By Mukesh KumarEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Fri, 05 May 2023 07:32 PM (IST)
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    Bihar News: जिले के सरकारी अस्पतालों में पैथोलॉजी जांच नहीं हो रही है।

    समस्तीपुर, जागरण संवाददाता: समस्तीपुर जिले के सरकारी अस्पतालों में पैथोलॉजी जांच नहीं हो रही है। लैब टेक्नीशियन के पदस्थापित रहने के बाद भी अधिकतर पीएचसी में मरीजों की खून संबंधी जांच नहीं हो पा रही।

    ऐसे में मरीजों को खून की जांच के लिए निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।

    जिले भर के स्वास्थ्य संस्थानों में मरीज को बेहतर सुविधा देने के लिए पैथोलॉजी लैब स्थापित की गई थी। इसमें टेक्नीशियन की भी तैनाती हुई। इसके बाद भी सुविधा नहीं दी जा रही है।

    आपको जानकर हैरानी होगी कि 10 स्वास्थ्य संस्थानों में जांच में इस्तेमाल होने वाले कैमिकल नहीं लिए जा रहे हैं। ऐसे में मरीजों को सरकार की योजना का लाभ ही नहीं मिल पा रहा है। इसमें इन अस्पतालों में लगाई गई 80 लाख रुपये की मशीन शोभा की वस्तु बनी हुई है। मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी ने जांच की बात कही है।

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    इन स्वास्थ्य संस्थानों का रिपोर्ट शून्य

    स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 10 अस्पताल में मरीजों को पैथोलॉजी जांच की सुविधा नहीं दी जा रही है। यहां पिछले चार महीने से जांच में उपयुक्त किए जाने वाले केमिकल नहीं लिए जा रहे हैं। इसके अलावा जुलाई, अगस्त व सितंबर के लिए भी डिमांड नहीं किया गया।

    इसमें मुख्य रूप से अनुमंडलीय अस्पताल दलसिंहसराय, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हसनपुर, कल्याणपुर, खानपुर, मोहनपुर, पटोरी, शिवाजीनगर, सिंघिया, विद्यापतिनगर और वारिसनगर शामिल है।

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    चक्कर लगाते हैं बिचौलिए

    अस्पताल में मरीज को जांच की सुविधा नहीं मिलने से इसका फायदा निजी जांच घरों के लोग उठा रहे हैं। जांच घरों के बिचौलिए दिनभर अस्पताल परिसर में चक्कर काटकर मरीजों को अपने जांच घर ले जा रहे हैं।

    ऐसे में अस्पताल में निःशुल्क और सस्ती इलाज कराने का मंसूबा लेकर आने वाले मरीजों को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है, लेकिन इस ओर प्रबंधन और सरकार का ध्यान नहीं है।