एक बार भोले भंडारी बन कर ब्रज नारी वृंदावन आ गए..
सीतामढ़ी। शहर के गुदरी रोड स्थित श्री रामविलास मंदिर में छठे दिन मंगलवार को श्रीमछ्वागवत कथा में कथा वाचक आचार्य श्यामल किशोर महाराज ने देवता इन्द्र द्वारा श्रीकृष्ण से माफी मांगने के प्रसंग से कथा को प्रारंभ किया।
सीतामढ़ी। शहर के गुदरी रोड स्थित श्री रामविलास मंदिर में छठे दिन मंगलवार को श्रीमछ्वागवत कथा में कथा वाचक आचार्य श्यामल किशोर महाराज ने देवता इन्द्र द्वारा श्रीकृष्ण से माफी मांगने के प्रसंग से कथा को प्रारंभ किया। जब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा करवाकर इन्द्र का अभिमान तोड़ा तब माफी मांगने पर श्रीकृष्ण ने इन्द्र को आशीर्वाद देकर गोवर्धन पूजा में जमीन पर अन्न उगाने में मदद करने वाले जैसे इन्द्र, अग्नि, वृक्ष और जल समेत सभी देवताओं की पूजा करने की मान्यता दी। कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने 156 करोड़ गोपियों के साथ महारास लीला शरद पूर्णिमा के दिन की थी। क्योंकि शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पूर्ण सोलह कलाओं से युक्त होता है, इसीलिए श्रीकृष्ण ने महारास लीला के लिए इस रात्रि को चुना था। इस रात चन्द्रमा की किरणों से अमृत बरसता है और मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती है। वैज्ञानिक ²ष्टिकोण से भी यह रात्रि स्वास्थ्य व सकारात्मकता प्रदान करने वाली मानी जाती है। महारास में मां पार्वती के संग महादेव के आने के प्रसंग को Xह्नह्वश्रह्ल;एक बार भोले भंडारी बन कर ब्रज नारी वृंदावन आ गए हैं , Xह्नह्वश्रह्ल;रास रचो है रास रचो है यमुना किनारे कान्हा रास रचो , Xह्नह्वश्रह्ल;दो नैना नैना नैना है सरकार के, कंटीले है कटार से, Xह्नह्वश्रह्ल;राधा नाचे कृष्ण नाचे संग संग गोपी नाचे , Xह्नह्वश्रह्ल; मुकुट सिरमौर का मेरे चित्तचोर का गीत गाकर सभी ने महारास का भरपूर आनंद लिया। वासुदेव के भाई और चाचा अक्रूर कंस की सलाह पर बलराम और श्रीकृष्ण को वृंदावन से मथुरा ले जाते हैं और समय आने पर श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर मथुरा के लोगों को अत्याचारों से मुक्त कराया। उसके बाद विदर्भराज की पुत्री रुक्मिणी के द्वारा पत्र के माध्यम से गुहार लगाने पर भगवान श्रीकृष्ण गिरिजाजी के मंदिर से रुक्मिणी को बचाते हैं और शिशुपाल और भाई रुक्मी को युद्ध मे अकेले हराकर विवाह करते हैं।
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