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    डाटर्स डे पर सबने कहा-लक्ष्मी का वरदान हैं बेटियां, सरस्वती का मान हैं बेटियां

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 27 Sep 2021 12:16 AM (IST)

    सीतामढ़ी। डॉटर्स डे को हर किसी ने अपने अंदाज में सेलिब्रेट किया। यह हर साल सितंबर महीने के चौथे रविवार को मनाया जाता है।

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    डाटर्स डे पर सबने कहा-लक्ष्मी का वरदान हैं बेटियां, सरस्वती का मान हैं बेटियां

    सीतामढ़ी। डॉटर्स डे को हर किसी ने अपने अंदाज में सेलिब्रेट किया। यह हर साल सितंबर महीने के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इसका मुख्य मकसद लोगों को बेटियों के प्रति सम्मान और स्नेह के लिए जागरुक करना है। यह दिन बेटियों को समर्पित होता है। परिहार के कन्हवां गांव की रजनी कुमारी व सीतामढ़ी शहर के जयप्रकाश पथ की रहने वाली गोल्डी कुमारी का कहती हैं-लक्ष्मी का वरदान हैं बेटियां, सरस्वती का मान हैं बेटियां, देवी का रूप व देवों का मान हैं बेटियां, परिवार के कुल को जो रोशन करें वो चिराग हैं बेटियां। इस खास मौके पर बेटियों से बातचीत में उनका जज्बा देख-सुनकर अहसास हुआ कि वह दुनिया बदलने का मादा यूं ही नहीं रखतीं। उन बेटियों ने आगे की अपनी भावी योजनाओं की चर्चा की। कोई डॉक्टर बनना चाहती, कोई इंजीनियर तो कोई आइपीएस अधिकारी बनकर देश सेवा करने की इच्छा जाहिर करती है। सच में वह अपने बुलंद हौसलों से आज आसमान छू रहीं हैं। देश संभाल रही हैं, फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं, क्या कुछ नहीं कर रही हैं बेटियां। ------------------------------------- बेटियों ने डॉटर्स डे पर अपने अंदाज में मनाई खुशियां और सेलिब्रेट किया रुन्नीसैदपुर के गाढ़ा गांव की रहने वाली अभय कुमार सिंह व रेखा सिंह की पुत्री मॉडल-अभिनेत्री नेहा राठौर डॉटर्स डे पर अपना उदाहरण ही पेश किया। अपने जीवन में सफलता और संघर्ष की कहानी बयां की। कहा कि जीवन में बेटी का महत्व अनंत है। अपनी भतीजी पल्लवी व श्रेया भारती के साथ सेल्फी लेकर खुशी के इस क्षण को सबके साथ साझा किया। नेहा ने कहा कि जहां नारियों की पूजा होती है। वहां, देवता वास करते हैं। वहीं, जहां नारियों की पूजा नहीं होती है, उनका सम्मान नहीं होता है। उस स्थान पर किए गए समस्त अध्यात्म और अच्छे कर्म सफल नहीं होते हैं। शहर के जयप्रकाश पथ की रहने वाली मौसम सिंह हो चाहे चोरौत प्रखंड के बररी बेहटा के उदय कुमार चौधरी की पुत्री पूजा कुमारी उर्फ छोटी चौधरी दोनों का कहना है कि वर्तमान समय में अधिकतर लोग बेटियों को बोझ समझते हैं। वहीं, समाज में व्याप्त मानसिक संकीर्णता के चलते बेटियां दहे•ा और दुराचार की शिकार हो जाती हैं। यह अहसास दिलाने के लिए बेटियां कितनी अनमोल हैं। हर साल सितंबर महीने में बेटी दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर लोग अपनी बहू और बेटी को 'डॉटर्स डे' की शुभकामनाएं देते हैं।

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    बेटियां आज आसमान छू रहीं, फाइटर प्लेन उड़ा रहीं बेटियों के साथ हो रहे जुल्म-अत्याचार की वेदना कविता में अदिति सोनम ने किया बयां

    मासूम बेटियों के साथ दरिदगी से व्यथित अदिति सोनम जो अभी 18 साल की है, यूनिवर्सिटी छात्रा है और सीतामढ़ी शहर के गुदरी रोड की रहने वाली है, उसने एक कविता के जरिये बेटियों के साथ हो रहे जुल्म-अत्याचार की वेदना बयां करने की कोशिश की है। उसकी कविता हमें झकझोरती है, जगाती है। उसने अपनी कविता में लिखा है- नन्हीं सी गुड़िया थी वो, ना जानें वो कहां टूट गई। प्यारी सी मुस्कान थी जिसकी, अब ना जानें कहा छूट गई।। वो महज छह साल की थी, जब उसके सपनों को तार-तार किया था। टूट कर बिखर गए अरमान उसके, जब उसने उस बच्ची को हैवानियत का शिकार बनाया था।। जो अपनी मुस्कान से पूरा घर सजाती थी, जो सबको परेशान कर चुपके से भाग जाती थी। उसके लिए सबकी आंखें आंसूओं से भर जाती हैं, जब उसको देखने को सबकी आंखें तरस जाती हैं।। उसके साथ हुई दरिदगी उस दिन, कितना वो चीखी चिल्लाई थी। क्या उस हैवान को जरा भी रहम ना आई थी, उस दरिदे ने उस बच्ची का सारे सपने तोड़ डाले। उस नन्हीं-सी बच्ची ने सबका दामन छोड़ दिया।

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