भोला बाबा पहाड़ी मंदिर
सीतामढ़ी। सीतामढ़ी शहर से 40 किमी दूर चोरौत प्रखंड के उच्च विद्यालय के पास स्थित है भोला बाबा पहाड़ी मंदिर। यह स्थान न केवल लोक आस्था का केंद्र है बल्कि यहां के भोले बाबा जन-जन में विद्यमान हैं।
सीतामढ़ी। सीतामढ़ी शहर से 40 किमी दूर चोरौत प्रखंड के उच्च विद्यालय के पास स्थित है भोला बाबा पहाड़ी मंदिर। यह स्थान न केवल लोक आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां के भोले बाबा जन-जन में विद्यमान हैं। यहां सालों पर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सावन में यहां आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है। सुदूर इलाके के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल के लोग भी यहां पहुंचते हैं। इतिहास
मंदिर की स्थापना कब हुई, इस संबंध में किसी को कुछ ज्ञात नहीं है। न ही यहां कोई ऐसा शिलापट लगा है, जिससे स्थापना काल ज्ञात हो सके। कहते हैं कि सैकड़ों वर्ष पहले यहां पीपल के जड़ में शिवलिग था। ग्रामीण वहीं आकर पूजा पाठ और जलाभिषेक करते थे। एक पहाड़ी नामक भक्त ने भोलेबाबा से मन्नत मांगी। मन्नत पूरी हुई तो उसने ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया। कालांतर में मंदिर को पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। यहां आने वाले भक्त बाबा से मन्नत मांगते हैं और पूरा होने पर जलाभिषेक और यज्ञ कर बाबा के प्रति अपनी श्रद्धापूर्ण करते हैं। विशेषता
एनएच 104 से सटा यह मंदिर लोगों के आस्था व आकर्षण का केंद्र है। मंदिर परिसर में एक तालाब है जिसे मुसहर साह के नाम से जाना जाता है। लोग इसी तालाब में स्नान कर बाबा का जलाभिषेक करते हैं। इसके दक्षिण में संकट मोचन हनुमान का मंदिर है। दोनों मंदिर एक जगह होने के कारण भक्तों की भीड़ लगी रहती है। बोले पुजारी
भोले बाबा की पूजा करने से कृपा हमेशा बनी रहती है। भक्तों की हमेशा भीड़ लगी रहती है। सावन महीने में यहां सूर्योदय से पूर्व ही जलाभिषेक की परंपरा है। दूर-दूर से लोग जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। बाबा अपने सभी भक्तों का कल्याण करते हैं।-- उमेश ठाकुर, पुजारी।
भगवान शिव की उपासना करने से मनुष्य धन्य-धन्य हो जाता है। जो लोग बाबा भोलेनाथ की पूजा करते हैं, उनकी इच्छा जरूर पूरी होती है। बेल पत्र, कनैल का पीला फूल, भांग, धतूरा व अक्षत बाबा का चढ़ावा है।
--- महेश्वर चौधरी, ग्रामीण।
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