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    अफसर बिटिया सुंदरम प्रिया व प्रभा बोलीं- अब हम दोनों डीएम-एसपी ही बनेंगी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 05 Mar 2020 06:10 AM (IST)

    सीतामढ़ी । मंगलवार को महज कुछ घंटे के लिए डीएम एसपी और एडीएम बनीं सरकारी स्कूल की बच्चियों ने अब अपनी तकदीर खुद लिखने का फैसला कर लिया है।

    अफसर बिटिया सुंदरम प्रिया व प्रभा बोलीं- अब हम दोनों डीएम-एसपी ही बनेंगी

    सीतामढ़ी । मंगलवार को महज कुछ घंटे के लिए डीएम, एसपी और एडीएम बनीं सरकारी स्कूल की बच्चियों ने अब अपनी तकदीर खुद लिखने का फैसला कर लिया है। एक कार्यक्रम के दौरान अफसर बनीं बेटियों ने ठान लिया है कि अब उस रोल को रीयल लाइफ में उतारकर ही दम लेंगी। उनके इस फैसले में उनके माता-पिता भी मजबूती के साथ खड़े हो गए हैं। सब दुआ कर रहे हैं कि उनकी ये जिद हकीकत में बदल जाए। और, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के मौके पर आयोजित वह छोटा-सा कार्यक्रम इन बच्चियों की जिदगी में टर्निंग पाइंट साबित हो जाए। सीतामढ़ी की डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा व एसपी अनिल कुमार की प्रेरणा से इन बच्चियों के हौसले को मजबूती मिली है। उन्होंने ही इनकी हौसला अफजाई की है। डीएम अभिलाषा का कहना है कि हमारी अभिलाषा है कि ये बेटियां आगे चलकर वाकई इस पद पर आसीन हों और समाज का नाम रोशन करें। हमने एक छोटी-सी कोशिश की। दुआ करुंगी कि वह कोशिश कामयाब हो जाए। हमारी ये कोशिश है कि यहां की बेटियां खुली आंखों से सपना देखें। और उस सपने को बिना किसी संशय के पूरा करने के लिए पूरी शिद्दत से आगे बढ़े। डीएम ने मीट योर कलेक्टर कार्यक्रम में यहां की बच्चियों को आमंत्रित किया था। जिसमें उनके हौसले को उड़ान भरने की ताकत मिल गई है। यकीनन डीएम-एसपी की इस तरह की पहल से न सिर्फ बेटियों का मनोबल बढ़ेगा बल्कि, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा भी सच साबित होगा।

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    डीएम-एसपी ने सरकारी स्कूल की बच्चियों का बढ़ाया हौसला

    महिला दिवस से पहले डीएम ने बच्चियों का उत्साह बढ़ाया। सातवीं कक्षा की बच्चियों को कुछ घंटों के लिए डीएम और एसपी की कुर्सी पर बिठाया। फिल्मों में एक दिन का सीएम देखा था। लेकिन, मंगलवार को यहां के लोगों ने एक दिन की नन्हीं डीएम, नन्हीं एसपी और नन्हीं एडीएम को। सरकारी स्कूल की बच्चियों को डीएम, एसपी और एडीएम की कुर्सी पर बिठाया गया। अफसर बनी बिटिया ने भी पूरे तेवर में फरियादियों की गुहार सुनी और अधिकारियों को समाधान के निर्देश दिए। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के मौके पर अपने तेवर से बता दिया कि मौका मिले तो वे आसमान छू सकती हैं। एक दिन के लिए बनी हूं लेकिन मन में अभी कसक रह गई है। काश मैं वास्तव में इस पद पर आसीन होती तो जरूर अपने कार्य से सबको चौंका देतीं। सुंदरम बोली- बैंकर नही अब तो आइएएस ही चाहिए

    डीएम की कुर्सी पर बैठकर घर लौटी सुंदरम प्रिया से मिलकर बधाई देने वालों का तांता लग गया है। घंटे भर के लिए आइएएस बनी सुंदरम के मन में आत्मविश्वास जाग उठा है। घर-परिवार के साथ पास-पड़ोस और स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएं सब उसको आशीष दे रहे हैं। कलेक्टर की कुर्सी पर बैठकर लौटने के बाद सुंदरम के अंदाज में बदलाव आ गया। सपने को पूरा करने के लिए रातभर वह ख्वाब देखती रही। सुंदरम ने कहा कि अब तो मैंने ठान लिया है कि कलेक्टर ही बनकर दम लूंगी। मेरा रुझान बैंकर बनने की ओर था। लेकिन, अब मैंने डीएम बनने का ही फैसला किया है। सुंदरम यह भी चाहती हैं कि उसकी सहेली प्रभा भी एसपी बन जाए। कुसुमपुर बखरी की रहने वाली सुंदरम नगर पालिका मध्य विद्यालय में पढ़ती है। उसके पिता धर्मेंद्र कुमार और मां अनु अमता भी अपनी बिटिया का यह ख्वाब पूरा करने में हर संभव सहयोग करने की बात कही है। मां गृहिणी हैं और उसके पिता इलेक्ट्रॉनिक्स की छोटी दुकान चलाते हैं। जिससे घर-गृहस्थी चल जाता है। सुंदरम से छोटा एक भाई है। प्रभा बोली-एसपी बनकर जरूर दिखाऊंगी

    एसपी बनी प्रभा का कहना है कि अब कुछ और नहीं आइपीएस ही बनकर दिखाऊंगी। प्रभा के पिता पूरन सहनी बसवरिया सीतामढ़ी में गिट्टी प्लांट में मेनेजर हैं। प्रभा का एक छोटा भाई है। उसकी मां ने कहा कि सभी बहुत प्रसन्न हैं। घर में खुशी का वातावरण है। उसकी मां नगर परिषद में क्लस्टर रिसोर्स पर्सन के तौर पर काम करती हैं। उसकी मां ने कहा कि हम लोग अधिक नहीं लिख पढ़ पाए। लेकिन, मेरी बिटिया हमारा ख्वाब पूरा कर पाएगी। प्रभा ने कहा कि अभी मैं सातवीं कक्षा में हूं। मैं भविष्य में उसी कुर्सी पर बैठना चाहूंगी। दोनों छात्राओं ने अपने माता-पिता व वर्ग शिक्षक को इसका श्रेय दिया है।माता-पिता ने कहा कि बड़ी खुशी हुई जब मेरी बेटी कलेक्ट्रेट की कुर्सी पर बैठकर घर आई। एक दिन के लिए सीतामढ़ी की डीएम-एसपी बनने की बात देख-सुनकर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अगल-बगल के लोग अब बिटिया की तारीफों के पुल बांध रहे हैं।