लक्ष्मणा गंगा नदी के सतत प्रवाह के लिए नेपाल करे पहल
हिमालय से निकलकर भारत में बहनेवाली लक्ष्मणा गंगा नदी की राह में रुकावट को दूर करने के लिए एक भारतीय शिष्टमंडल नेपाल सरकार से मिलकर लौटा है। मधेश राज जनकपुर के प्रदेश प्रमुख (राज्यपाल) हरिशंकर मिश्रा को शिष्टमंडल ने ध्यान आकृष्ट किया और ज्ञापन देकर कहा कि हिमालय नेपाल के भू-भाग से सीतामढ़ी के सोनबरसा में भारसर के बॉर्डर तक नदी की उड़ाही करवा दीजिए ताकि भारतीय भू-भाग में नदी का अविरल और सतत प्रवाह जारी रह सके।

सीतामढ़ी । हिमालय से निकलकर भारत में बहनेवाली लक्ष्मणा गंगा नदी की राह में रुकावट को दूर करने के लिए एक भारतीय शिष्टमंडल नेपाल सरकार से मिलकर लौटा है। मधेश राज जनकपुर के प्रदेश प्रमुख (राज्यपाल) हरिशंकर मिश्रा को शिष्टमंडल ने ध्यान आकृष्ट किया और ज्ञापन देकर कहा कि हिमालय नेपाल के भू-भाग से सीतामढ़ी के सोनबरसा में भारसर के बॉर्डर तक नदी की उड़ाही करवा दीजिए ताकि, भारतीय भू-भाग में नदी का अविरल और सतत प्रवाह जारी रह सके। इस नदी का धार्मिक महत्व अत्यधिक है और बड़े भू-भाग में खेती के लिए यह नदी वरदान साबित होती रही है। शिष्टमंडल में बथनाहा के मझौलिया गांव निवासी समाजिक कार्यकर्ता एवं संघर्ष मोर्चा के संयोजक शशिशेखर, पूर्व मंत्री व मुजफ्फरपुर कांटी से पूर्व विधायक अजीत कुमार सिंह, सुरसागर अस्पताल, राजोपट्टी के संचालक डा. नवल किशोर सिंह समेत नेपाल व भारत के 10-12 सदस्य शामिल थे। शशिशेखर ने बताया कि मधेश प्रमुख ने हमारी बातों को गंभीरता से सुना और नेपाल सरकार से इस सिलसिले में तुरंत पहल करने का आश्वासन दिया है। भारतीय डेलीगेशन से मुलाकात के दौरान राज्यपाल अत्यंत प्रसन्न हुए अैर उन्होंने सभी सदस्यों को शॉल ओढ़ाकर स्वागत भी किया।
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नदी की मुख्यधारा में गाद की उड़ाही हो जाए हिमालय से लक्ष्मणा गंगा (आम बोलचाल की भाषा में लखनदेई नदी) निकलती है। उसका मुख्य भाग नेपाल में है और वह धारा अत्यधिक गाद से भर चुकी है। 1995-96 के बाद से उसकी उड़ाई नहीं होने से प्रवाह की दिशा बदल गई है। भारत में भी नदी की धारा बदल गई। सोनबरसा से आठ-दस किलोमीटर लक्ष्मीपुर से पश्चिम यह नदी बहती थी अब पूरब दिशा में मुड़ गई। नेपाल सरकार के रोड इंजीनियर की गलती से नदी की धारा बदली क्योंकि, उन लोगों ने नदी पर एक पुल बनाया और बांध बांध दिया। यह काम नदी की प्रवाह के हिसाब से नहीं हो सका। बरसात में मुख्य धारा इसी के चलते गाद से भर गई। दुलारपुर घाट जहां पहले ये नदी आकर मिलती थी इसके लिए जरूरी है कि नदी की मुख्यधारा में गाद की उड़ाही हो जाए। सोनबरसा ब्लॉक में दुलारपुर घाट भारसर से पश्चिम डेढ़ किलोमीटर में पड़ता है।
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माता सीता की सहेली लक्ष्मणा गंगा स्वयं महादेवी नदी का महत्व यह है जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है कि सीता मईया का जब प्रादुर्भाव हुआ, तो पहले आठ उनकी सखियां आईं। जिनमें महालक्ष्मी के रूप में लक्ष्मणा गंगा अवतरित हुईं। ये सीता माता की सेवा में हैं। जब नदियों में गंगा की पवित्रता की बात करते हैं, तो गंगा मईया को देवी कहा जाता है और लक्ष्मणा गंगा स्वयं महादेवी हैं।
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