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    Mushroom Farming: इस तरीके को अपनाकर कमा सकते हैं कम लागत में अधिक मुनाफा, साल भर होगी कमाई

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 10:52 AM (IST)

    कृषि विज्ञान केंद्र पुपरी में मशरूम उत्पादन तकनीक पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ। डॉ. किंकर कुमार ने ग्रामीण युवाओं के लिए मशरूम उत्पादन को आय का महत्वपूर्ण स्रोत बताया। मनोहर पंजीकार ने विभिन्न मशरूम प्रजातियों की खेती की जानकारी दी। डॉ. श्रीति मोसेस ने उत्पादन की प्रक्रिया और आवश्यक सामग्री के बारे में बताया। सलोनी चौहान ने मशरूम के पोषक तत्वों पर प्रकाश डाला।

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    कम पूंजी में मशरूम की खेती महिला व युवाओं के लिए रोजगार के बेहतर विकल्प

    संवाद सहयोगी, पुपरी। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रशिक्षण सभागार में पांच दिवसीय मशरूम उत्पादन तकनीक आधारित प्रशिक्षण की शुरुआत गुरुवार को प्रभारी सह पशु चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ. किंकर कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि ग्रामीण युवाओं में सतत आमदनी के लिए मशरूम उत्पादन एक महत्वपूर्ण गतिविधि है।

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    मात्र 25 प्रतिशत के लागत से दो माह में आमदनी शुरू हो जाती है। इसके उत्पादन में प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, सूखाड़ का भय नहीं रहता है।

    उद्यान वैज्ञानिक मनोहर पंजीकार ने बताया कि मशरूम की हजारों प्रजातियां हैं, लेकिन जिले में ओयेस्टर, बटन, श्वेत दूधिया, पैडी स्ट्रा जैसे प्रजातियों की खेती काफी आसानी से की जा सकती है।

    बताया कि इसकी खेती घर के अंदर की जाती है। वैसी महिला जो केवल घर का कार्य करती है, वे घर में रहते हुए मशरूम का उत्पादन आसानी से कर सकती हैं। जिले में ओयेस्टर मशरूम की खेती काफी संख्या में किसान कर रहे हैं। इसकी खेती सितंबर से फरवरी-मार्च तक की जाती है। किसान द्वारा बटन व श्वेत दूधिया की खेती शुरू की जाए तो पूरे वर्ष इसकी खेती की जा सकती है।

    पादप रक्षा वैज्ञानिक डॉ. श्रीति मोसेस ने मशरूम उत्पादन के लिए गेहूं का भूसा, स्पान, पीपी बैग, रसायन व मशरूम घर की जरूरत होती है। साफ भूसे को सर्वप्रथम रसायन की मदद से शुद्ध करते हैं ताकि बाद में रोग एवं कीड़ों का संक्रमण न हो सके।

    इसके बाद उसमें स्पान को मिलाकर उसे पीपी बैग में भरकर रबर से बंद कर मशरूम घर में रख दिया जाता है। तीस दिन के आसपास से मशरूम निकलना शुरू हो जाता है।

    गृह वैज्ञानिक डा. सलोनी चौहान ने बताया कि मशरूम विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर होता है। मशरूम पाउडर, मशरूम बड़ी, मशरूम सुखौटा, मशरूम पाउडर को रुई में बनाकर अधिक दिनों तक रखा जा सकता है।

    मौके पर सोनी कुमारी, जयप्रकाश कुमार, अवधेश कुमार, रामजी साह, गणेश कुमार, मुन्ना कुमार समेत कुल तीस किसानों ने भाग लिया।