Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पीली कुटी के कण-कण में बसी हैं माता सीता, हर दिन माता सीता के साथ लक्ष्मणा गंगा की भी होती है पूजा

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 10 May 2022 12:19 AM (IST)

    सीतामढ़ी। सीता नवमी को लेकर शहर के लक्ष्मणानगर रिगबांध स्थित पीली कुटी में साधु-संतों व श्रद्धालुओं में उत्साह चरम पर है।

    Hero Image
    पीली कुटी के कण-कण में बसी हैं माता सीता, हर दिन माता सीता के साथ लक्ष्मणा गंगा की भी होती है पूजा

    सीतामढ़ी। सीता नवमी को लेकर शहर के लक्ष्मणानगर रिगबांध स्थित पीली कुटी में साधु-संतों व श्रद्धालुओं में उत्साह चरम पर है। श्रद्धा से ओत-प्रोत भक्त व संत-महंत तैयारी में कई दिनों से जुटे हैं। सीता नवमी पर यहां होने वाली विशेष पूजा-अर्चना की तैयारी में पीली कुटी के महंत, साधु-संत व भक्त जुटे हुए हैं। सीता नवमी पर जानकी जन्मस्थली पुनौराधाम से माता सीता की डोला के साथ निकली पंचकोसी परिक्रमा नगर भ्रमण करती हुई श्रीराम जानकी मंदिर खैरवा, इस्लामपुर ब्रह्मस्थान, हलेश्वर स्थान शिव मंदिर, कपरौल मठ (कपिल मुनि आश्रम) पीली कुट्टी रिग बांध पर पहुंची। परिक्रमा का भव्य स्वागत किया गया। पूरा क्षेत्र सीतामय हो गया। जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी में दशकों पूर्व से पीली कुटी सीताराम जप व सीताराम नाम महायज्ञ का पर्याय बना हुआ है। यहां के कण-कण में सियाराम बसे हैं। सियाराम और जय-जय सीताराम का अनवरत जाप यहां आने वालों को सीताराम मय बना देते हैं। पीली कुटी में विवाह पंचमी, रामनवमी और सीता नवमी पर विशेष धार्मिक आयोजन व भजन-की‌र्त्तन होता है। प्रेमलता जु महाराज को दादा गुरु जी के नाम से सीतामढ़ी में जाना जाता है। कालांतर में मधुर लता जी महाराज, सिया किशोरी शरण दास जी महाराज कनकलता जी महाराज गुरु परंपरा में आते हैं। उनके परम शिष्य रामसूरत शरण जी महाराज लगातार मंदिर में माता सीता के साथ लक्ष्मणा माता की भी पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। वैसे भी पीली कुटी में सुबह- शाम भजन-आरती में श्री सीताराम- श्री सीताराम व जय-जय सियाराम का भजन गूंजता रहता है। हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते रहते हैं। विशेष तिथियों पर पर सीताराम नाम जाप महायज्ञ, नवाह महायज्ञ, अखंड रामधुन, रामायण पाठ का आयोजन होता है। पीली कुटी के बगल में ही बहती हैं माता सीता की सखी लक्ष्मणा गंगा पीली कुटी में हर समय होने वाले सीताराम के जाप एवं माता लक्ष्मणा की पूजा-अर्चना से लक्ष्मणा गंगा की धीमी हो गई धार को पुनर्जीवित होने की संभावना प्रबल होने लगी है। भक्तों का विश्वास है कि दशकों पूर्व लक्ष्मणा गंगा का जो स्वरूप था वह फिर से जीवनदायिनी बनकर अपनी संतानों को समृद्ध करने में सहायक होंगी। माता सीता का अवतरण भी तो अकाल से जूझ रही संतानों को त्राण दिलाने व बंजर हो रही धरा को हरियाली से भरने के लिए हुआ था। उनकी सहेली लक्ष्मणा गंगा भी अपनी प्रिय सहेली माता सीता की तरह ही इस धरा पर संतानों के लिए जीवनदायिनी के रूप में थीं। भक्तों का विश्वास है कि माता सीता की पूजा-अर्चना और सीताराम नाम जप से एकबार फिर लक्ष्मणा गंगा का प्रवाह प्रबल होगा और क्षेत्र के संतानों के लिए जीवनदायिनी बनेंगी। एक जमाने में लक्ष्मणा गंगा की धारा से जल लेकर साधु संत भोजन निर्माण करते थे और उसी जल का सेवन पीने के लिए भी करते थे। इसलिए सीतामढ़ी में मां लक्ष्मणा गंगा की धारा पुन: शुद्धता से प्रवाहित हो।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    श्री राम जगन्नाथ शरण जी महाराज ने मां लक्ष्मणा गंगा की स्थापित कराई थी मूर्ति

    सखा भाव से माता सीता की अष्ट सहेलियों में एक माता लक्ष्मणा का नाम खास सहेलियों में एक है। उनकी अष्ट सहेलियों में चंद्रकला, लक्ष्मणा, चारुशीला, हेमा, क्षेमा, सरयू, कमला व दूधमती के नाम से मशहूर है। ऐसी मान्यता है कि श्री राम जगन्नाथ शरण जी महाराज ने 80 वर्ष पूर्व रात को सपने में माता लक्ष्मणा को नदी से पूर्ण जल पर बैठे देखा। लक्ष्मणा नदी की पुरानी धारा अपने रास्ते को छोड़कर नई धारा में समाहित हो चुकी थी। व्याकुलता में जी रहे महाराज जी को माता लक्ष्मणा ने पुरानी धारा के साथ लबालब भरे जल में स्वप्न में दर्शन दिए। माता लक्ष्मणा ने महात्मा से कहा मैं यहीं हूं चिता मत करो मैं हमेशा सीतामढ़ी में ही हूं। जिस स्वरूप को महात्मा श्रीराम जगन्नाथ शरण जी महाराज ने देखा उसी दिन सुबह में मूर्तिकार को बुलाकर पीली कुटी मठ पर माता लक्ष्मणा गंगा के लिए प्रतिमा की स्थापना करा दी। तब से लेकर आज तक उस प्रतिमा की पूजा माता सीता की सखा के रूप में प्रतिदिन की जाती है। संध्या वंदना और आरती की जाती है। ऐसी मान्यता है माता सीता साकेत लोक में अष्ट सहेलियों के साथ आज भी रहती हैं। प्रतीक रूप में माता लक्ष्मणा गंगा सीतामढ़ी की पहचान है।

    --------------------------------------------------