राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संस्थापक थे मौलाना अबुल कलाम आजाद
आधुनिक प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अनिवार्य शिक्षा के जनक थे अबुल कलाम आजाद।
सीतामढ़ी। आधुनिक प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अनिवार्य शिक्षा के जनक थे अबुल कलाम आजाद। भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद साहब की मान्यता थी कि शिक्षा के आभूषण से महिलाओं को सजाओ, संवारों। उनमें यह योग्यता पैदा करो कि वे अपनी संतानों को उत्तम शिक्षा दे सकें। ये बातें राज्य साधन सेवी संजय कुमार मधु ने साक्षरता कार्यालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम का आयोजन जिला मुख्यालय स्थित प्राथमिक विद्यालय महारानी स्थान में किया गया। इसकी अध्यक्षता जिला शिक्षा सेवक संघ के अध्यक्ष रघुनंदन बैठा ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ मौलाना आजाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया। कार्यक्रम में शिक्षा दिवस पर प्रकाश डालते हुए एसआरजी ने कहा कि घर की महिलाएं अगर शिक्षित होंगी तो बच्चो को खुद पढ़ा सकेंगी। 06 से 14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए नि: शुल्क अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया। आज सरकार उनके द्वारा बनायी गई शिक्षा नीति पर अमल कर रही है। मौलाना अबुल कलाम आजाद एक शिक्षाविद् तो थे ही साथ ही एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। स्वतंत्रता संग्राम के समय वो ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्थापना की थी। आज हम सब को उनके आदर्शे को आत्मसात करने की आवश्यकता है। वहीं जनशिक्षा निदेशक के निर्देश के आलोक में साक्षरताकर्मीयो द्वारा एक प्रभातफेरी साक्षरता कार्यालय से निकली गई। जो एमपी हाई स्कूल, आंबेडकर स्थल, मर्यादा पथ, कुमार चौक, शंकर चौक, बड़ी बाजार होते हुए प्राथमिक विद्यालय महारानी स्थान पहुंची। जहां एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। मौके पर शैल देवी, रीता कुमारी, अमित कुमार, मनोज कुमार, चंदन कुमार, जयकिशोर चौधरी, उपेन्द्र बैठा, हरिनारायण राउत, समोद कुमार, रामबाबू बैठा, इंदल बैठा, जितेन्द्र बैठा, जाकिर बैठा, बिन्देश्वर बैठा समेत दर्जनों शिक्षा सेवक व तालिमी मरकज के स्वयंसेवक मौजूद थे।
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