दीपावली के दिन अयोध्या की तरह ही माता जानकी की जन्मस्थली भी होगी जगमग
सीतामढ़ी से लेकर जनकपुर धाम तक मठ-मंदिरों में दीपोत्सव की तैयारी है। यहां एक लाख से अधिक दीयों से मठ-मंदिरों को रोशन किया जाएगा। पुनौराधाम जानकी मंदिर में 11 हजार दीयों की दीपमाला से मंदिर प्रांगण जगमग होगा।
सीतामढ़ी, जासं। दीपावली में जहां अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि को दीयों से रोशन करने की तैयारी है, वहीं माता जानकी की जन्मस्थली भी दीपोत्सव के लिए तैयार है। वहीं, नेपाल के जनकपुरधाम में भी दीपावली खास होगी। सीतामढ़ी से लेकर जनकपुर धाम तक मठ-मंदिरों को दीपोत्सव के लिए सजाया-संवारा जा रहा है। यहां एक लाख से अधिक दीयों से मठ-मंदिरों को रोशन किया जाएगा। दो साल से कोरोना के कारण दीपोत्सव थोड़ा फीका रहा, इस बार हर ओर उत्साह है। पुनौराधाम जानकी मंदिर में 11 हजार दीयों की दीपमाला से मंदिर प्रांगण जगमग होगा, जबकि जानकी स्थान जानकी मंदिर में 5100 दीये जलेंगे। पुनौराधाम के पुंडरीक ऋषि के आश्रम स्थित सीताकुंड पर 11 हजार और जानकी मंदिर के उर्विजा कुंड पर 5100 दीये जलाए जाएंगे। जानकी जन्मस्थली होने के कारण इस दिन यहां विशेष पूजा-अर्चना भी की जाएगी। शाम में भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए अलग-अलग आयोजन समितियां तैयारी में जुटी हैं।
लक्ष्मणा गंगा घाट पर भी मनेगी दीपावली
जानकी जन्मभूमि जीर्णोद्धार व पर्यटन विकास समिति के सचिव डा. टीएन सिंह, पुनौराधाम मंदिर के महंत कौशल किशोर दास के अनुसार मंदिरों को सजाया-संवारा जा रहा है। श्रीसीता जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र समिति के अध्यक्ष आलोक कुमार व महामंत्री राजेश कुमार सुंदरका और श्रीसीता जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के अध्यक्ष अभिषेक मिश्रा ने बताया कि लक्ष्मणा नदी के घाट तथा बाजार समिति हनुमान मंदिर पर पूर्व सैनिक संगठन व मंदिर के महंत राजनारायण दास की ओर से 2100 दीप जलाए जाएंगे। मिथिला राघव परिवार सेवा न्यास समिति के धनुषधारी प्रसाद सिंह, रामशंकर शास्त्री व आसनारायण ठाकुर ने बताया कि माता जानकी जन्मस्थल का महत्व अयोध्या से कम नहीं है। यहां भी पर्यटक पहुंचते हैं।
मंदिरों में शाम से जुटने लगते लोग
सीतामढ़ी के अतुल प्रसाद का कहना है कि माता जानकी की प्राकट्य भूमि दिव्य स्थल है। यहां से लोगों की आस्था जुड़ी है। माता सीता यहां के कण-कण में व्याप्त हैं, ऐसे में उनसे जुड़ा कोई भी आयोजन होता है तो वह भव्य स्वरूप में आता है। दीपावली की रात यहां के लोग अपने घरों से दीपक लेकर मंदिरों में पहुंचते हैं, वहां जलाने के बाद अपने घरों को रोशन करते हैं।