जगद्गुरु बधाई व मंगल गीत से जानकी जन्मोत्सव को बनाया यादगार
सीतामढ़ी। जगदगुरु श्रीरामभद्राचार्य जी महाराज की आठ दिवसीय दिव्य श्रीराम कथा मंगलवार को जानकी जन्मोत्सव के साथ ही संपन्न हो गई।

सीतामढ़ी। जगदगुरु श्रीरामभद्राचार्य जी महाराज की आठ दिवसीय दिव्य श्रीराम कथा मंगलवार को जानकी जन्मोत्सव के साथ ही संपन्न हो गई। पुनौराधाम में अंतिम दिन संगीतमय श्रीराम कथा में मगलवार को बधाई गीत व मंगल गीत गाकर जगदगुरू ने जानकी जन्मोत्सव को यादगार बना दिया। श्रीमुख से कथा सुनाते हुए जगदगुरू ने माता सीता की अष्टम सखी सुभगा के जीवन-चरित्र की व्याख्या की। कहा कि राम के सभी गुण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, वैराग्य को जानने वाली सखी सुभगा है। सखी के भाव है-शिव धनुष कठोर है राम कोमल हैं। फिर भी धनुष भजन राघव ही करेंगे और सीता वरन करेंगे। जीव को अहंकार से मुक्ति दिलाने वाली सीता की सखी सुभगा हैं। संसार का भय शिव धनुष है तो भव भय खंजन राम हैं। धनुष तम है तो राम सूर्य हैं। तम भजन राम ही करेंगे। राम रावण के लिए राहु समान काल हैं। शिव धनुष यदि राहु समान है तो राम ही धनुष भजन करेंगे और माता सीता वरन करेंगे। जिनके चरण कमल की धुली पाकर अहिल्या का कल्याण हुआ वही राम माता सीता के लिए शिव धनुष भंजन करते हैं। महाराज जी ने कहा कि विश्वास के बिना भक्ति संभव नहीं। परमात्मा पर विश्वास कर भजन करना चाहिए। अवध मिथिला संबंध मधुरतम हो यही दीक्षा भक्तों से मांगी। साथ ही जानकी जन्मभूमि पुनौराधाम में आजीवन कथा कहने के प्रण को दोहराया। आज की कथा में मुख्य यजमान जानकी नंदन पांडेय, रेखा देवी, नगर विधायक मिथिलेश कुमार, सुशील सिंह, श्री नारायण सिंह, सुधीर शाही, विजय शाही, सुधीर शाही, अमिय भूषण, मनोज वत्स, नवीन कुमार, रघुनाथ कुमार, रामशंकर शास्त्री, त्रिपुरारि सिंह, आग्नेय कुमार, वाल्मीकि कुमार, सुशील सुन्दरका, दिनेश चंद्र द्विवेदी ने भाग लिया। राम छबिला चौधरी, किशन सुन्दरका, धनुषधारी प्रसाद सिंह, शिव कुमार प्रसाद आदि सक्रिय सहयोग करते रहे।
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