Sitamarhi News: निर्माण के 8 साल बाद की ध्वस्त हो गया जफरा नदी पुल का एप्रोच, डायवर्जन से हो रहा आवागमन
चोरौत प्रखंड के सिमरी-खोरिया बभनीपटटी मार्ग पर जफरा नदी पुल का एप्रोच ध्वस्त होने से यातायात बाधित है। वर्ष 2008 में निर्मित पुल का एप्रोच कई वर्षों से क्षतिग्रस्त है जिससे चार पहिया वाहनों का परिचालन बंद है। डायवर्सन पर निर्भरता और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है। विभाग ने मरम्मत के लिए नई स्वीकृति दी है।
संवाद सूत्र, चोरौत। प्रखंड के सिमरी-खोरिया बभनीपटटी जाने वाली सड़क में जफरा नदी पर वर्ष 2008 बनाए गए पुल के दोनों भाग का सपोर्ट और एप्रोच ध्वस्त है। इस कारण चार पहिया वाहनों का परिचालन पूर्णतः बंद हो चुका है। पुल का एप्रोच ध्वस्त होने से कई वर्षों से डायवर्सन के सहारे आवागमन हो रहा है।
इस समस्या की ओर न तो किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान जा रहा है और न किसी पदाधिकारी का। इससे इलाके के लोगों परेशानी झेलनी पड़ रही है। यह पुल चोरौत प्रखंड मुख्यालय को जोड़ती ही है। साथ-साथ प्रखंड के यदुपट्टी पंचायत व मधुबनी जिले के मधवापुर साहरघाट, मधुबनी तथा पड़ोसी देश नेपाल के मटिहानी,जलेश्वर जनकपुर धाम को जाने वाली प्रमुख सड़क को जोड़ने वाली प्रमुख पुल है।
इस पुल का निर्माण वर्ष 2008 में तत्कालीन सांसद सीताराम यादव के प्रयास से बनाया गया था, लेकिन आठ वर्ष में ही पुल के दोनों भाग का एप्रोच जर्जर होकर ध्वस्त हो गया।
ग्रामीण डॉ. विनायक यादव, बिक्कु यादव, देवेन्द्र यादव बताते हैं कि पुल निर्माण के समय ही निर्माण एजेंसी ने पुल के दोनों भाग का सड़क संपर्क का एप्रोच पथ नहीं बनाया था, जिसके कारण पुल के दोनों किनारे का पश्चिमी भाग व उत्तरी पाया से सटे पुल का दोनों सपोट दो फीट ध्वस्त हो गया है। जिससे इस पर पर चार चक्के वाहनों का परिचालन पूर्णतः बंद चुका है। दोनों भाग के जर्जर होने के कारण बीच में बची संकड़ी जगह से बाइक ही किसी तरह जा रही है।
यदुपटटी निवासी व पूर्व प्रमुख देवेंद्र मिश्र ने बताया कि पंचायत के दर्जनों किसानों का खेत खलिहान भी इसी इलाके में है,जहां खेतों की जुताई मशीन व ट्रैक्टर से खाद बीज ले जाने व लाने में यह पुल बहुत ही उपयोगी है। बावजूद इसके जनप्रतिनिधि का ध्यान इस ओर नहीं रहने से ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ग्रामीण बताते हैं कि सिमरी-खोरिया बभनीपटटी पथ पुल का एप्रोच कई वर्षों से ध्वस्त है। सुखाड़ के दिनों में इस इलाके के लोग पुल होते हुए भी बगल में बने डायवर्जन के सहारे चार पहिया वाहन व ट्रैक्टर ले जाते हैं। वहीं, बाढ़-बरसात के दिनों में डायवर्सन पर पानी चढ़ जाने से इस होकर भी आवागमन बंद हो जाता है।
ग्रामीणों ने बताया कि पुल और अवशेष बचे सड़क को बनबाने के लिए के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता सह पुर्व जिला पार्षद विश्वनाथ मिश्र ने भी प्रयास किया। पुल के एप्रोच बनाने को लेकर कई बार ग्रामीणों ने आवाज उठाई, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला है।
बीते पांच वर्ष के अंतराल में मुख्यमंत्री योजना से सड़क का निर्माण तो कराया गया, लेकिन पुल एप्रोच पथ को नहीं बनाया गया। पुल के एप्रोच की गहराई को देखते हुए संवेदक ने केवल सड़क बनाकर छोड़ दिया। सड़क का संपर्क पुल से नहीं होने के कारण यह पुल अनुपयोगी बना हुआ है।
जर्जर पुल व अवशेष बचे सड़क को बनाने के लिए विभाग से नई स्वीकृति मिल गई है। शीघ्र ही पुल का एप्रोच का कार्य भी उसके साथ कराया जाएगा।
महेंद्र कुमार, सहायक अभियंता पथ प्रमंडल विभाग, पुपरी
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