बाबा बाल्मीकेश्वर नाथ धाम पर होगा भव्य शिव विवाह का आयोजन
सुरसंड में भारत - नेपाल सीमा पर अवस्थित बाबा बाल्मीकेश्वर नाथ धाम परिसर में शिव सेवा समिति की बैठक हुई। अध्यक्षता अध्यक्ष प्रवीण कुमार झा उर्फ मुन्ना ने किया। बैठक का संचालन संरक्षक सह पूर्व मुखिया शोभित राउत ने किया। बैठक में स्वरसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 1 मार्च की होने वाली महाशिवरात्रि महोत्सव मनाने के लिए बाबा वाल्मीकेश्वर नाथ महादेव माता पार्वती के मंदिर के रंग रोगन पोखर व सफाई करने का निर्णय लिया गया।

सीतामढ़ी । सुरसंड में भारत - नेपाल सीमा पर अवस्थित बाबा बाल्मीकेश्वर नाथ धाम परिसर में शिव सेवा समिति की बैठक हुई। अध्यक्षता अध्यक्ष प्रवीण कुमार झा उर्फ मुन्ना ने किया। बैठक का संचालन संरक्षक सह पूर्व मुखिया शोभित राउत ने किया। बैठक में स्वरसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 1 मार्च की होने वाली महाशिवरात्रि महोत्सव मनाने के लिए बाबा वाल्मीकेश्वर नाथ महादेव, माता पार्वती के मंदिर के रंग रोगन, पोखर व सफाई करने का निर्णय लिया गया। शिव विवाह के लिए मंदिर परिसर से शिव बारात निकाली जाएगी। रात्रि में शिव - पार्वती विवाह हो गई। साथ ही श्रद्धालुओं के लिए शांति व्यवस्था, सूचना व प्रसारण केन्द्र व रौशनी की व्यवस्था करने के निर्णय लिया गया। बैठक में शिव सेवा समिति के उपाध्यक्ष रानलखन पंडित, सचिव राघवेन्द्र ओझा उर्फ टनटन, उपसचिव जितेन्द्र कुमार प्रसाद व कोषाध्यक्ष हरि राउत, राकेश चौधरी,रामटहल राउत, मिथिलेश कुमार राणा, महंत शम्भू गिरी,रामबाबू गिरी, निरंजन मिश्र, शिवचन्द्र ठाकुर, बैजू पासवान, फकीरा राम, खट्टे राउत, महेश्वर झा उर्फ आम,रौशन कुमार दुबे,अनुज राय सरोज मंडल, मनोज साह, नागेन्द्र राउत,बिल्ट राय बिहंगम के अलावा दर्जनो शिव सेवा समिति के सदस्य बैठक में शामिल थे। बतातें चलें कि सीतामढ़ी की धरती त्रेता युग के कई स्वर्णिम इतिहास को समेटे है। भारत - नेपाल सीमा पर अवस्थित सुरसंड में बाबा बाल्मिकेश्वर नाथ धाम महादेव मंदिर सदियों से आस्था व विश्वास का विशाल केंद्र है। यही वजह है कि लोग इनके दर्शन करने आते रहते है। महा शिव रात्रि व सावन में यहां भारत-नेपाल के श्रद्धालुओं की लंबी भीड़ लगी रहती है। बाबा का जलाभिषेक पटना के पहलेजा के गंगा घाट के जल से भी होता है। ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में महर्षि बाल्मिकी की तपस्या से खुश होकर भगवान भोले नाथ ने उन्हें दर्शन दिया था। जिस स्थल पर महर्षि बाल्मिकी ने तप किया था। उसी स्थान पर धरती से महादेव का दुर्लभ शिवलिग उत्पन्न हुआ था। वाल्मिकी के तप के बाद उत्पन्न होने के कारण ही इनका नाम बाल्मिकेश्वरनाथ महादेव पड़ा।
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