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    सीतामढ़ी गोशाला में गोपाष्टमी महोत्सव शुरू, गायों की नगर में निकाली गई शोभायात्रा

    By Jagran NewsEdited By: Ajit kumar
    Updated: Tue, 01 Nov 2022 02:25 PM (IST)

    गोपाष्टमी महोत्सव के मौके पर गोशाल को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। इसके साथ ही साथ गोपाष्टमी पर तुला दान आकर्षण का केन्द्र बना रहा। गो भक्तों ने तुला पर स्वयं या परिवार के सदस्यों को बिठाकर तौल के बराबर चोकर दाना समेत गायों के भोजन का दान किया।

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    कई भक्तों ने अपनी पत्नी के तौल के बराबर गायों को भोजन अर्पण किया। फोटो: जागरण

    सीतामढ़ी, जासं। एक सौ तीस वर्ष पुरानी श्री सीतामढ़ी गोशाला के प्रांगण में मंगलवार को गोपाष्टमी महोत्सव की शुरुआत अहले सुबह गो माता के पूजन से हुई। इस अवसर पर गोशाला को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। इस बार गोपाष्टमी पर तुला दान आकर्षण का केन्द्र बना रहा। गो भक्तों ने तुला पर स्वयं या परिवार के सदस्यों को बिठाकर उनके तौल के बराबर चोकर, दाना समेत गायों के भोजन का दान किया। कई भक्तों ने अपनी पत्नी के तौल के बराबर गायों को भोजन अर्पण किया। इसके पूर्व गोशाला परिसर में स्थित श्री गोपाल कृष्ण मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण कन्हैया का मनोहारी श्रृंगार किया गया।

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    गो माता का दर्शन कराया

    गोपाष्टमी पर अहले सुबह से महिला व पुरुष श्रद्धालुओं ने गो माता का पूजन कर परिक्रमा की। साथ ही बड़ी संख्या में महिलाओं ने गोशाला आकर गो पूजा कर भोजन कराया। कई गो भक्तों ने गोशाला में सवामणि के तहत गायों को मीठा हलवा का सेवन भी कराया। सुबह में गो पूजन और गो परिक्रमा के बाद, गायों की शोभा यात्रा निकालकर नगर परिभ्रमण कराकर लोगों को गो माता का दर्शन कराया गया। अपराह्न तीन बजे के बाद हवन यज्ञ और शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा।मालूम हो कि श्री सीतामढ़ी गोशाला पूरे बिहार में प्रसिद्ध है। श्री सीतामढ़ी गोशाला अपनी सेवा भावना और रखरखाव के लिए प्रदेश में प्रथम स्थान रखता है। गोशाला में दो सौ की संख्या में गाय, बछड़े से लेकर सांढ़ की देखभाल की जाती है। श्री सीतामढ़ी गोशाला जिले के लिए किसी धरोहर से कम नहीं है। श्री सीतामढ़ी गोशाला की स्थापना 1892 ई में की गई थी।