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बथनाहा के ई. राजीव शुक्ला को दिल्ली में कोरोना महायोद्धा सम्मान

कोरोना ऐसा संकट है जिसने लोगों को संकट में डाल दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 12:08 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 06:05 AM (IST)
बथनाहा के ई. राजीव शुक्ला को दिल्ली में कोरोना महायोद्धा सम्मान
बथनाहा के ई. राजीव शुक्ला को दिल्ली में कोरोना महायोद्धा सम्मान

सीतामढ़ी। कोरोना ऐसा संकट है, जिसने लोगों को संकट में डाल दिया है। इस महासंकट से निजात पाने में दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियां धराशायी हो गईं या स्वयं को निरुपाय महसूस कर रही हैं, ऐसे समय में बथनाहा के ई. राजीव शुक्ला अपनी सुनियोजित तैयारियों, संकल्प एवं सेवा-प्रकल्पों के जरिये कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जरूरतमंदों की सहायता के लिये मैदान में हैं। हर स्तर पर राहत पहुंचाने में जुटे हैं। श्रीराम हर्षण शांति कुंज की ओर से इनको कोरोना महायोद्धा-2020 सम्मान से नवाजा गया है। देश के अलग-अलग हिस्सों में वे गरीब और जरूरतमंदों को भोजन खिला रहे हैं, बस्तियों में जाकर मास्क, सैनिटाइजर, दवाइयां एवं अन्य जरूरी सामग्री बांटकर कर लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं, जागरूक कर रहे हैं। वे इस आपदा-विपदा में किसी देवदूत की भांति सेवा कार्यों में लगे हुए हैं। उनके लिए खुद से बड़ा समाज है। उनकी संवेदनशीलता एवं सेवा-भावना की विरोधी भी प्रशंसा करने से स्वयं को रोक नहीं पा रहे हैं। वे बथनाहा प्रखंड के तिरकौलिया पंचायत स्थित सोनबरसा गांव के निवासी हैं और दिल्ली में'बालाजी डेवलपर्स'के सीएमडी हैं। इनके छोटे भाई डॉ. सुजीत शुक्ला सफदरजंग हॉस्पीटल में कैंसर रोग विशेषज्ञ हैं और सबसे छोटे भाई भी एक बड़े हॉस्पिटल के महाप्रबंधक हैं। राजीव शुक्ला पहले भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम, Xह्नह्वश्रह्ल;इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेडXह्नह्वश्रह्ल; में बतौर अभियंता काम किए। फिर अपनी कंपनी स्थापित कर ली और सिविल निर्माण कार्य से जुड़ गए। कोरोना संकट से दिल्ली में फंसे यहां के मजदूरों की हर संभव मदद कर रहे हैं। इससे पहले भी बाढ़, भूकंप जैसे हर प्राकृतिक आपदा के समय वे जरूरतमंदों की मदद करते रहे हैं। बिहार से लेकर दिल्ली तक कई शैक्षणिक संस्थानों को भी वे समय-समय पर वित्तीय मदद करते हैं। उन संस्थानों में गरीब-मेधावी बच्चों को शिक्षा प्रदान करा रहें हैं। अपने गांव में दो कमरे का मात्र एक प्राथमिक विद्यालय था, उसको माध्यमिक विद्यालय बनवाने के लिए उन्होंने अपनी कीमती जमीन दान में दे दी। उनके प्रयासों से गांव के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

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