Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    समृद्ध इतिहास पर वर्तमान में बदहाल है चोरौत

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 04 Apr 2019 01:17 AM (IST)

    मिथिला भाषामय इतिहास के अनुसार चोरौत गांव की अपनी अलग कहानी है । कहा जाता है कि गांव के बीचों बीच कमला नदी बहती थी। जिसके डीह पर तत्कालीन राजा चोर चकबे पूजा अर्चना करते थे ।

    समृद्ध इतिहास पर वर्तमान में बदहाल है चोरौत

    सीतामढ़ी। मिथिला भाषामय इतिहास के अनुसार चोरौत गांव की अपनी अलग कहानी है । कहा जाता है कि गांव के बीचों बीच कमला नदी बहती थी। जिसके डीह पर तत्कालीन राजा चोर चकबे पूजा अर्चना करते थे । नदी के कुछ ही दूरी पर डीह यज्ञस्थली के रूप मे था । राजा चोर चकबे बराबर यज्ञ करते थे। पुराने लोग बताते हैं कि यज्ञ में पात्र का नाम चौर और हुत है । उसी समय से चौरहुत रहा होगा। धीरे धीरे इसका नाम चौर हुत से अपभ्रंश रूप होते होते चोरौत हो गया । दूसरी ओर, यह भी कहा जाता है कि साढ़े तीन सौ साल पहले यहां जंगल था । तसमैया बाबा नामक महात्मा यहां अपनी साधना स्थली बनाए थे। उनकी तपस्या और साधना को देख कर दरभंगा महराज ने हजारों एकड़ जमीन दान स्वरूप दिया । गांव का इतिहास सवा तीन सौ साल पहले से माना जाता है । लक्ष्मीनारायण मंदिर है प्राचीनता का गवाह :

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चोरौत गांव स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर से इसकी प्राचीनता का पता चलता है। ताम्र पात्र, क्विटल भर की पीतल की घंटी सहित, पीतल व चांदी के दरवाजा के साथ सिंहासन को देखकर इसकी प्राचीनता का अनुभव होता है। अबतक चोरौत लक्ष्मी नारायण मंदिर में नौ महंत हो चुके हैं। वर्तमान में (नए भवन) मंदिर का निर्माण 104 वर्ष पूर्व महंत रामलखन दास जी द्वारा किया गया था । सन 1962 में इनके चेले पुपरी विधानसभा क्षेत्र के तत्काल विधायक महंत स्व. श्याम नारायण दास ने विरासत को सही रूप से सम्हालते हुए चोरौत में अपने गुरु के नाम से दो उच्च विद्यालय क्रमश: लखन नारायण स्मारक उच्च विद्यालय और लक्ष्मी नारायण संस्कृत उच्च विद्यालय का निर्माण कराया । इन्होंने चोरौत पश्चिमी व उतरी पंचायत भवन, बीआरसी, पीएचसी, पानी टंकी, पावर सब स्टेशन, सूरी धर्मशाला, पीएचसी, पशु हाट, नीमबारी बाजार बनवाए लोगों को पानी पीने के लिए कुंआ और दर्जनों तालाब की खुदाई कराई । इस तरह चोरौत गांव को नया जीवनदान दिया ।

    1995 में चोरौत के नाम पर बना प्रखंड:

    सात पंचायत वाले चोरौत प्रखंड वर्ष 1995 में अस्तित्व में आया । यह जिले का सबसे पिछड़ा प्रखंड माना जाता है । 1980 में तत्कालीन विधायक रामबृक्ष चौधरी के प्रयास से चोरौत गांव में बिजली की सुविधा उपलब्ध हुई। लेकिन सड़क की स्थिति आज भी बदहाल है । गांव के पूरब में मधुवनी जिला है । पश्चिम मे पुपरी प्रखंड व सुरसंड प्रखंड है। दक्षिण में दरभंगा जिला व पुपरी प्रखंड का भाग है। अंग्रेजी शासन काल मे अंग्रेजों का मुख्य कार्यालय के प्रधान चोरौत महंत ही होते थे । अन्य लोगों से कर बसूली का पुरा कार्य भार इन्ही के उपर था । अंग्रेजी शासन काल में चोरौत मे कई स्वतंत्रता सेनानी हुए जो अब नही हैं । आज इस गांव के कई इंजीनियर, दरोगा, डॉक्टर, आईपीएस तथा सेना में लोग कार्यरत हैं । यह तीन पंचायतों का गांव चोरौत में शिक्षा का ग्राफ उपर है। लेकिन मूलभूत सुविधा की अभी भी दरकार है।