चैत्र नवरात्र कल से, मां का आगमन फलदायी
इस वर्ष चैत्र नवरात्र का शुभारंभ दो अप्रैल से होगा। इस दिन पूर्वाह्न 1128 बजे तक एकम है। इसलिए इस अवधि के पूर्व ही कलश स्थापना करना आवश्यक है।

सीतामढ़ी । इस वर्ष चैत्र नवरात्र का शुभारंभ दो अप्रैल से होगा। इस दिन पूर्वाह्न 11:28 बजे तक एकम है। इसलिए इस अवधि के पूर्व ही कलश स्थापना करना आवश्यक है। जिले के प्रख्यात तांत्रिक पंडित गिरिधर गोपाल चौबे ने बताया कि प्रात: काल 5.50 बजे से लेकर पूर्वाह्न 11.28 बजे के बीच श्रद्धालु कलश स्थापना का शुभ समय होगा। इस दिन शनिवार होने के कारण मां का आगमन घोड़े पर हो रहा है। यह सत्ता परिवर्तन का सूचक है। युद्ध का संदेश है और नया शासन का योग है। उन्होंने बताया कि इस बार नवरात्रि खत्म होते हैं सत्ता का परिवर्तन भी हो सकता है। इस सत्ता परिवर्तन में बिहार पर काफी प्रभाव पड़ेगा। राजनीतिक में काफी उथल-पुथल रहेगी। बतादें कि सीतामढ़ी जिले के डुमरा जिला मुख्यालय से सटे नारायणपुर स्थित भविष्य दर्शन केंद्र के संस्थापक जिले के प्रख्यात तांत्रिक गिरधर गोपाल चौबे सानिध्य में पिछले कई दशक से मां दुर्गा और 10 महाविद्या देवी की पूजन आयोजित की जाती है। बतादें कि 10 महाविद्या देवी की पूजन तांत्रिक मंत्रों से की जाती है। साल के चार नवरात्रिओं में तीन नवरात्रि का यहां भव्य आयोजन किया जाता है। इस दौरान देश के बड़े-बड़े राजनीतिक दल के नेता और अधिकारी विजयि प्राप्ति के लिए यहां माथा टेकने पहुंचे हैं। हर नवरात्रि में हर बार मां नए वाहन पर धरती पर आगमन करती हैं और नए वाहन पर ही धरती से देवलोक को प्रस्थान लेती है। इन वाहनों का देश दुनिया और धरती पर बड़ा असर पड़ता है। इस बार मां का वाहन घोड़ा होगा और इस बार के नवरात्रि में मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी। जबकि भैंस पर सवार होकर जा रही हैं। देवी का आगमन और गमन दोनों ही प्रतिकूल फलदायी है। आय और कर्म के क्षेत्र में मिलेगी मजबूती इस वर्ष के राजा शनि हैं और चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिन भी शनि होने के कारण राष्ट्र आय और कर्म के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ होगा। पिछले वर्षों की तुलना में आने वाला समय हर तरह से मजबूत होगा। इस चैत्र नवरात्रि में विशेष बात ये है कि इस वर्ष किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने के कारण पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी। आठ अप्रैल को सप्तमी है। इस दिन मां का पट खुलेगा। 10 अप्रैल को नवमी है। इस दिन हवन व कन्या पूजन होगा। वहीं 11 अप्रैल को दशमी है। भविष्य दर्शन केंद्र में कन्या पूजन का भी भव्य आयोजन किया जाता है। तंत्र साधना की सबसे महत्वपूर्ण अवधि
चैत्र नवरात्र तंत्र साधना के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवधि है। तंत्र में छह भाग हैं। इस अवधि में इनकी सिद्धि के लिए वनदुर्गा स्त्रोत, दशमहा विद्या स्त्रोत, विपरीत प्रत्यांगिरा स्त्रोत, दक्षिणेश्वरी काली स्त्रोत, पंचुमुखी हनुमत कवच स्त्रोत शामिल है। दश महाविद्या देवी में 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6. त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला शामिल है। यहां दश महाविद्या देवी अपराजिता की तंत्र साधना की जाती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।