भगवान बोधायन की तपस्थली बोधायनसर को अब मिल सकेगी विश्वव्यापी ख्याति
सीतामढ़ी। बहुत कम लोग यह जानते हैं कि जिस प्रमेय के आधार पर आर्यभट्ट ने अंतरिक्ष विज्ञान की खोज की थी उसकी खोज भगवान बोधायन ने की थी।
सीतामढ़ी। बहुत कम लोग यह जानते हैं कि जिस प्रमेय के आधार पर आर्यभट्ट ने अंतरिक्ष विज्ञान की खोज की थी, उसकी खोज भगवान बोधायन ने की थी। महान दार्शनिक और गणितज्ञ बोधायन ने सीतामढ़ी जिले के बाजपट्टी प्रखंड के वनग्राम स्थित गांव को अपनी तपस्थली बनाई थी।,बाद में यह गांव बनगांव के रूप में ख्यात हुआ। बनगांव में एक सरोवर के पास पीपल के पेड़ के नीचे उन्होंने साधना की थी, वहीं सैकड़ों ग्रंथ और सूत्र की रचना भी की। अब यह स्थान बोधायनसर के नाम से जाना जाता है। भगवान बोधायन के प्रमेय को यूनानी विद्वान पाइथागोरस ने विस्तार दिया था। आगे चलकर आर्यभट्ट ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में खोज की। 700 ईसा पूर्व मिथिला क्षेत्र में जन्मे भगवान बोधायन ने सीतामढ़ी शहर से 14 किमी की दूरी पर बाजपट्टी प्रखंड के बनगांव को अपनी तपस्थली बनाई। उनके बचपन का नाम उपवर्ष था। वे भारत के महान दार्शनिक और गणितज्ञ थे। प्रसिद्ध व्याकरणाचार्य पाणिनी, भगवान बोधायन के शिष्य थे। बोधायन ने दो सौ से अधिक धर्म ग्रंथों की रचना की। गणित के कई महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए। एक श्लोक द्वारा बताया था कि आयत में कर्ण का वर्ग आधार तथा लंबाई के वर्गों के योग से बराबर होता है। उनकी रचना वृति ग्रंथ में वर्णित इस श्लोक को बोधायन प्रमेय के नाम से जाना जाता है।
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पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने के सपनों को लगे पंख
सीतामढ़ी: बोधायनसर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होने का लोगों का दशकों पुराना सपना अब सच होता दिख रहा है। हालांकि इसके लिए वनगांव के लोगों ने लंबा संघर्ष किया। सेवा निवृत लिपिक राम बाबू सिंह बताते हैं कि वनगांव निवासी सह स्वामी वासुदेवाचार्य ने बोधायन की खोज की थी। वे अयोध्या के जानकी घाट में दार्शनिक आश्रम का संचालन करते थे। अयोध्या में आज भी यह आश्रम बरकरार है। वर्ष 1958 में मंदिर का निर्माण, प्रतिमा की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इसमें यूपी के देवरिया के संत देवराहा बाबा ने भाग लिया था। इसके बाद से इस स्थान के विकास को लेकर ग्रामीणों ने संघर्ष शुरू किया। ध्रुवकांत झा और धनंजय सिंह समेत दर्जनों लोग संघर्ष करते हुए परलोक सिधार गए। रेलवे से माल बाबू के पद से रिटायर सुनील कुमार झा और शिक्षा विभाग में लिपिक के पद से रिटायर राम बाबू सिंह ने संघर्ष शुरू किया। सुनील और राम बाबू की जोड़ी ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को दर्जनों पत्र भेजे। Xह्नह्वश्रह्ल;दैनिक जागरण'अखबार भी लोगों की आवाज बना। इस स्थल की महता को राष्ट्रीय पटल पर उठाया। राम बाबू सिंह बताते हैं कि विधायक रंजू गीता से गुहार लगाई गई। उन्होंने तीन बार विधानसभा में मामले को उठाया। इसके बाद सरकार ने डीएम से रिपोर्ट मांगी। डीएम ने रिपोर्ट सरकार को भेजी थी। तकरीबन पांच-छह साल के संघर्ष के बाद आखिरकार सरकार ने इस पवित्र स्थल के विकास के लिए फंड दिए।
23 को है भगवान बोधायन का जन्म दिवस
सीतामढ़ी: 700 ईसा पूर्व भगवान बोधायन का जन्म पौष कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को हुआ था। बनगांव स्थित बोधायनसर में दशकों से उक्त तिथि पर ग्रामीण उनकी जयंती मनाते रहे हैं। हर साल यहां विशाल भंडारा का आयोजन होता रहा हैं। बोधायन जयंती पर हर साल श्रद्धालु यहां जुटते हैं। तालाब में स्नान कर परिक्रमा कर मंदिर में बोधायन की प्रतिमा का पूजा अर्चना करते हैं। इस साल 23 दिसंबर को जयंती मनाया जाएगा। पूर्व की तरह इस बार भी समारोह की तैयारियां जारी हैं। चर्चा हैं कि जीर्णोद्धार बाद सीएम नीतीश कुमार इसे जनता को समर्पित करेंगे। यहीं वजह हैं कि इलाके में 23 दिसंबर को सीएम के आगमन की चर्चा जोरों पर हैं। हालांकि प्रशासनिक स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
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