‘आरटीआई पोर्टल ही बंद कर दें’, लंबित आवेदनों पर रितु का सरकार पर तीखा हमला
RTI Application Pending: बिहार में आरटीआई आवेदनों के लंबित रहने पर पूर्व राजद नेत्री रितु जायसवाल ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जब सम ...और पढ़ें

समय पर सूचना नहीं देने की वजह से सरकार की आलोचना की। फोटो सौ. इंटरनेट मीडिया
डिजिटल डेस्क, सीतामढ़ी। Bihar Governance Issue:बिहार में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत दाखिल आवेदनों के लंबे समय तक लंबित रहने को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है।
इस मुद्दे पर पूर्व राजद नेत्री रितु जायसवाल ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि जब सरकार समय पर सूचना देने में असफल है, तो फिर आरटीआई पोर्टल चलाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
रितु जायसवाल ने कहा कि बिहार सरकार में गवर्नेंस की स्थिति इस बात से समझी जा सकती है कि आम नागरिकों द्वारा लगाए गए आरटीआई आवेदन महीनों और वर्षों तक लंबित पड़े रहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के अधीन आने वाला सामान्य प्रशासन विभाग आरटीआई आवेदनों को संबंधित विभागों को अग्रसारित तो कर देता है, लेकिन इसके बाद उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
30 दिन की जगह वर्षों तक नहीं मिल रही सूचना
उन्होंने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का उदाहरण देते हुए कहा कि सूचना का अधिकार कानून के तहत 30 दिनों के भीतर जानकारी उपलब्ध कराना अनिवार्य है, लेकिन कई मामलों में यह समय सीमा पूरी तरह नजरअंदाज की जा रही है।
एक मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग द्वारा 1,809 दिनों बाद भी सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है, जो कानून और लोकतंत्र दोनों का मजाक है।

शुल्क लेने के बाद भी जानकारी नहीं
रितु जायसवाल ने यह भी सवाल उठाया कि जब सरकार आरटीआई आवेदन शुल्क ले रही है, तो फिर आवेदकों को समय पर सूचना क्यों नहीं दी जा रही। उन्होंने कहा कि सूचना न देना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि आम नागरिकों के अधिकारों के साथ सीधा अन्याय भी है।
सरकार की मंशा पर उठे सवाल
उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि यदि सरकार को सूचना देनी ही नहीं है, तो आरटीआई पोर्टल को बंद कर देना चाहिए। कम से कम इससे लोगों को झूठी उम्मीद तो नहीं दी जाएगी। उनका कहना था कि आरटीआई व्यवस्था को कमजोर करना पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना के खिलाफ है।
जवाबदेही तय करने की मांग
रितु जायसवाल ने मांग की कि लंबित आरटीआई आवेदनों की समीक्षा कर जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में सूचना का अधिकार कानून का सख्ती से पालन हो, ताकि आम जनता को समय पर जानकारी मिल सके।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस दिशा में गंभीर कदम नहीं उठाती है, तो यह साबित हो जाएगा कि पारदर्शी शासन के दावे केवल कागजों तक सीमित हैं।

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