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    जल, जंगल और जमीन, हो जनता के अधीन : राज गोपाल

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    Updated: Mon, 30 Apr 2012 09:05 PM (IST)

    सीतामढ़ी, जाप्र : जल, जंगल और जमीन, हो जनता के अधीन नारे के तहत जन सत्याग्रह संवाद यात्रा के तहत 80 हजार किमी की यात्रा पर 2 अक्टूबर 2011 से निकले प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक पीव्ही राज गोपाल अपने कारवां के साथ सीतामढ़ी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने डुमरा स्थित अदिति कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि जनता की परेशानी सुनने व आम जनों के साथ संवाद करने के लिए वह देश व्यापी सफर पर निकले है। उन्होंने कहा कि अब तक 45 किमी का उनका सफर पूरा हो चूका है। उन्होंने कहा कि जल, जंगल और जमीन जनता की है। इसे जनता के अधीन करना होगा। इसके लिए आंदोलन जारी रहेगा। श्री राजगोपाल ने कहा कि सरकारें विकास कम विनाश ज्यादा कर रहीं है। उन्होंने कहा कि ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में देश बर्बादी की राह पर है। देश के नक्शे से आज 92 हजार गांव गायब हो गए है। 29 हजार गांवों में श्मशान नहीं है। पेड़ - पौधे कटते गए है। नदी व तालाब की जगह शहर बस गए है। लोग गांव छोड़ शहर में पलायन कर गए है। नदी के अभाव में मछुआरों पर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। प्रदूषण का दायरा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रत्येक भूमिहीन को आवास व जमीन दे। व्यावसायिक उपयोग पर रोक के लिए स्पष्ट भूमि नीति बनाए। आदिवासियों को वन भूमि का स्वामित्व प्रदान किया जाएगा, प्रत्येक बेरोजगार के लिए आजीविका का संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित किया जाए व आजीविका के प्रकृति स्त्रोत जल, जंगल, जमीन व पहाड़ पर स्थानीय समुदाय को वैधानिक अधिकार देने की मांग की। साथ ही कहा कि इस मुद्दे पर उनका आंदोलन जारी रहेगा।

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