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    द्रुपदकालीन है देकुली धाम का मंदिर

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    Updated: Thu, 05 Jan 2017 01:19 AM (IST)

    शिवहर। जिला शिवहर की पहचान शिवालयों से है। जिसमें देकुली धाम स्थित ऐतिहासिक बाबा भुवनेश्वर नाथ महादे

    शिवहर। जिला शिवहर की पहचान शिवालयों से है। जिसमें देकुली धाम स्थित ऐतिहासिक बाबा भुवनेश्वर नाथ महादेव मंदिर का स्थान सर्वोपरि है जिसके बारे में कई तरह की ¨कवदंतियां प्रचलित है। बताते हैं कि उक्त टीला जिसका फैलाव करीब एक एकड़ में है, वहीं पास में ही विशाल तालाब है जिसे महाभारत कालीन राजा द्रुपद का किला बताते हैं। दूसरी मान्यता के अनुसार प्रारंभ में मंदिर के गर्भ गृह में एक सुरंग था जिसके बारे में कथा प्रचलित है कि पाँचों पांडव इसी सुरंग से निकल कर लाक्षा गृह से अपनी जान बचाई थी। यह भी कहा जाता है कि लक्ष्मण परशुराम के बीच यहीं युद्ध हुआ था। तो यह भी मान्यता है कि राम विवाह के समय जगतजननी सीता की डोली यहाँ रूकी थी। कारण जो भी हो देकुली धाम स्थित महादेव मंदिर अति प्राचीन है जिसका वास्तु अद्वितीय है जिसकी दिवाल करीब तीस इंच मोटी है, जबकि गर्भ गृह की करीब पंद्रह फीट नीचे है जहां सीढि़यां बनी हैं। शिवालय के वायीं ओर मां पार्वती का मंदिर है तो दाहिनी ओर काल भैरव विराजित हैं। वहीं परिसर के आग्नेय कोण में महावीर हनुमान का आकर्षक मंदिर है। जहाँ सालों भर श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है। विशेष अवसरों पर तो भीड़ अनियंत्रित हो जाती है। क्योंकि तब शिवहर ही नहीं पड़ोसी जिला सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण एवं पड़ोसी देश नेपाल से भी भक्त पहुंचते हैं। ऐसा मानना है कि बाबा भुवनेश्वरनाथ का दर्शन एवं जलाभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र फलित होती हैं। ¨कतु एक दूसरा पहलू है जो मंदिर की प्रसिद्धि एवं लोकप्रियता में रुकावट पैदा करता है कि मंदिर का उचित प्रबंधन नहीं है। स्वामित्व को लेकर पटना उच्च न्यायालय में वाद लंबित है। नतीजतन मंदिर परिसर में गंदगी एवं कचरे का अंबार दिख जाएगा, समुचित साफ सफाई की व्यवस्था नहीं है। वर्ष 2008 में तत्कालीन डीएम विजय कुमार ने मंदिर का सौंदर्यीकरण कराया, एन एच 104 से सटे इस मंदिर की आमद के लिए दुकानें बनवाई। लेकिन उसके बाद कोई सुधि लेनेवाला नहीं। गौरतलब है कि उक्त मंदिर को निजी मिल्कीयत से आजाद कर न्यास ट्रस्ट को देने एवं सीता सर्किट से जोड़ने की मांग हमेशा उठती रहती है लेकिन इस दिशा में न तो जिला प्रशासन कोई ठोस पहल कर रहा है न ही यहाँ के कोई जनप्रतिनिधि। हाँ इतना जरूर है कि जब भी जिला में कोई वरीय या कनीय पदाधिकारी आते हैं तो तो बाबा भुवनेश्वर नाथ के दरबार में मत्था टेकने जरुर जाते हैं, जब भी चुनाव होता है तो जीत का आशीर्वाद लेने को नेताओं की कतार अवश्य दिखती है लेकिन मंदिर के विकास के प्रति किसी में संवेदनशीलता नहीं दिखती। वर्तमान में मंदिर के पुजारी विनोद भारती हैं।

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