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    बाबा के द्वार में जन सहयोग से जल रहा अखंड ज्योति

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    Updated: Thu, 01 Aug 2013 07:25 PM (IST)

    सीतामढ़ी : सुरसंड प्रखंड अंतर्गत अमाना गांव स्थित बाबा अमनेश्वर नाथ महादेव मंदिर एक बार फिर अपनी खोई हुई चमक प्राप्त करने में सफल रहा है। समाज सेवी विजय शाही के मेहनत का ही फल है कि आज न केवल इलाके के लोग बल्कि पड़ोसी देश नेपाल के लोग भी बड़ी संख्या में बाबा के द्वार पर मत्था टेकने पहुंच रहे है। समाजसेवी विजय शाही की पहल व ग्रामीणों के सहयोग से बाबा के दरबार में अखंड ज्योति जल रहा है। जिससे निकली प्रकाश इलाके में भक्ति फैला रहीं है। सिंघी नदी के तट पर अवस्थित इस मंदिर में अमाना, महुआईन, भिखाटोल, पथराही, देवनाथपट्टी, सिवाईपट्टी, विशनपुर, नरहाकला, महमदपुर, बाबू नरहा, बलमिसवा, चीनगी तकिया, सोनमनीटोल, कुरथरिया, गांधी टोल, रसलपुर, पिपराही, इनरवा टोल, निमाही व सोपलगाढ़ा आदि गांवों के ग्रामीणों के सहयोग से बाबा अमनेश्वरनाथ मंदिर स्थित मां पार्वती के द्वारा पर विशेष अखंड ज्योति जलाया जा रहा है। सावन माह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु देवनाथ पट्टी से जल लेकर बाबा के दरबार में पहुंच कर जलाभिषेक कर पुण्य के भागी बन रहे है। मंदिर में अखंड रामधुन जारी है। वहीं हर - हर महादेव की गूंज से इलाका भक्ति में डूब सा गया है। केसरिया वस्त्र धारन किए कावरियों व श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच हर - हर महादेव के जयकारे से इलाका पटा हुआ है। अमाना के भोलेनाथ की महिमा अपरंपार है। वहीं इसका इतिहास भी काफी पुराना है। मैथिली कोकिल कवि विद्यापति की कृति पुष्प लता व गोस्वामी तुलसी दास की कालजयी कृति राम चरित्र मानस में इसके उल्लेख से पता चलता है कि इस शिवलिंग की उत्पत्ति त्रेता युग में हुई है। मिथिला राज के अधीन घने व बीहड़ जंगल में 12 वीं सदी में सबसे पहले इस शिवलिंग पर नजर पड़ी। 13 वीं सदी में दरभंगा महाराज बहादुर सिंह हल्के उजले शिवलिंग देख वे मोहित हो गए। बहादुर सिंह ने शिवलिंग को अमाना से दरभंगा ले जानी की ठानी। लेकिन सारे प्रयास विफल हुए। थक हार कर दरभंगा नरेश ने यहां विशाल मंदिर का निर्माण कराया। वर्ष 1339 में दरभंगा महाराज ने वर्ष 1339 में यहां मंदिर का निर्माण कराया। बाद में बाढ़ व भूकंप जैसी आपदा को झेलते हुए यह मंदिर जमींदोज हो गया। किसी को भी इसकी जानकारी नहीं रहीं। इलाका घने जंगलों से पट गया। वर्ष 1955 - 56 में फिर इस मंदिर की खबर लोगों को मिली, लेकिन बहुत कम लोग ही इस ओर आते दिखे। मुजफ्फरपुर जिले के शाही मीनापुर निवासी समाजसेवी विजय शाही जब बाजपट्टी स्थित अपने ससुराल आए तो अमाना के महादेव की महिमा की गाथा सुनी। उन्होंने दर्शन किया और भोले नाथ की प्रेरणा से तत्क्षण ही इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराने की ठानी। चार वर्ष पूर्व उनका यह अभियान शुरू हुआ और एक वर्ष के भीतर यहां भव्य मंदिर बन गया। साथ ही अमाना के महादेव की यश व कीर्ती एक बार फिर फैलने लगी है। सावन माह में श्री शाही द्वारा श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। महंथ राज कुमार दास, दंडी बम, राजेंद्र बम, जोगी बम, राम सिंहासन बम, हरी बम, राम संयोग बम, किशुन बम, विशेश्वर बम, राम भजन बम, रामफल बम, बिंदा बम, मुकेश बम, रामजी बम, गेनाई बम, देवन बम व राम सागर बम आदि प्रत्येक माह के एकादसी को दर्जनों गांवों के ग्रामीणों के सहयोग से राम नाम संकी‌र्त्तन व अखंड ज्योति का आयोजन करते है। इस बार यहां विशाल मेला भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

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