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    अद्भुत शक्ति के स्वामी है अमाना के महादेव

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    Updated: Thu, 25 Jul 2013 05:32 PM (IST)

    सीतामढ़ी, प्रतिनिधि : पड़ोसी देश नेपाल से सटे सुरसंड व बाजपट्टी प्रखंड के बीच अमाना गांव के संघी नदी के तट पर है बाबा अमनेश्वरनाथ महादेव का मंदिर। तीन एकड़ भूमि में स्थापित यह मंदिर भारत व नेपाल के श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बन गया है। यहां के बाबा भोले नाथ अदभूत शक्ति के स्वामी है। कहते है कि मांगों, बाबा पूरी करते है मुराद। शायद यही वजह है कि न केवल इलाके बल्कि नेपाल के लोगों में भी बाबा अमनेश्वरनाथ महादेव आस्था के केंद्र बने हुए है। यहां नेपाल के नुनथर पहाड़, बागमती नदी व इलाके के विभिन्न नदियों से लोग कांवर लेकर यहां जलाभिषेक करने आते है। सावन में यहां की छटा ही निराली होती है। मेले सा मंजर होता है।

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    क्या है इतिहास : भोले नाथ कब प्रगट हुए, इसका कोई ठोस आधार नहीं है, लेकिन मैथिली कोकिल कवि विद्यापति की कृति पुष्प लता व गोस्वामी तुलसी दास की कालजयी कृति राम चरित्र मानस में इसके उल्लेख से पता चलता है कि इनकी उत्पत्ति त्रेता युग में हुई होगी। पहले यह इलाका मिथिला राज के अधीन था, जो घने व बीहड़ जंगल से पटा था। 12 वीं सदी में किसी की नजर इस शिवलिंग पर पड़ी। 13 वीं सदी में दरभंगा महाराज बहादुर सिंह ने शिवलिंग की कीर्ति सुनी और आ कर पूजा अर्चना की। करीब सात फीट लंबे हल्के उजले शिवलिंग देख वे मोहित हो गए। बहादुर सिंह ने शिवलिंग को अमाना से दरभंगा ले जानी की ठानी। हजारों सैनिकों के साथ महाराज अमाना गांव पहुंचे। कई दिनों तक जंगल में कैंप किया। एक सप्ताह तक शिवलिंग को उखारने की कोशिशें की कई, जो नाकाम साबित हुई। आखिरकार भोले नाथ ने दर्शन दिया और मंदिर का निर्माण कराने का आदेश दिया। दरभंगा महाराज ने वर्ष 1339 में यहां मंदिर का निर्माण कराया। इस शिवलिंग को कई शासकों द्वारा कई बार हटाने का प्रयास किया गया। लेकिन महादेव नही हट सके। आजिज हो कर शासकों ने शिवलिंग को क्षतिग्रस्त कर दिया। जिसके निशान अब भी शिवलिंग पर बरकरार है। उसके बाद बाढ़ व भूकंप जैसी आपदा को झेलते हुए यह मंदिर जमींदोज हो गया। किसी को भी इसकी जानकारी नहीं रहीं। इलाका घने जंगलों से पट गया। वर्ष 1955 - 56 में फिर इस मंदिर की खबर लोगों को मिली, लेकिन बहुत कम लोग ही इस ओर आते दिखे।

    समाजसेवी ने कराया जीर्णोद्धार : मुजफ्फरपुर जिले के शाही मीनापुर निवासी समाजसेवी विजय शाही जब अपने ससुराल आए तो अमाना के महादेव की महिमा की गाथा सुनी। उन्होंने दर्शन किया और भोले नाथ की प्रेरणा से तत्क्षण ही इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराने की ठानी। चार वर्ष पूर्व उनका यह अभियान शुरू हुआ और एक वर्ष के भीतर यहां भव्य मंदिर बन गया। साथ ही अमाना के महादेव की यश व कीर्ती एक बार फिर फैलने लगी। यहां सावन के अलावा शिवरात्रि, बसंत पंचमी व दुर्गा पूजा जैसे अवसर पर विशाल मेला लगता है।

    कैसे जाए : सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से 30 किमी की दूरी पर है अमाना के महादेव। सीतामढ़ी से सुरसंड बस से और फिर गाड़ी भाड़ा कर यहां जा सकते है।

    कहां ठहरे : यहां वर्तमान में ठहरने के लिए मंदिर परिसर में ही विजय शाही ने धर्मशाला का निर्माण कराया है।

    क्या है चढ़ावा : बेलपत्र, कनैल का फुल, नदी का जल, दूध व बताशा बाबा को चढ़ता है।

    आस्था : कहते है कि यहां मांगी गई हर एक मुराद पूरी होती है। सच्चे मन से मांगे गए हर एक मुराद को भोले नाथ पूरा करते हैं।

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