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    शेखोपुरसराय का गुड़ बना कुटीर उद्योग, गांव के साथ विदेशों में भी बढ़ी डिमांड

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 11:01 PM (IST)

    शेखोपुरसराय का गुड़ अब कुटीर उद्योग बन गया है। इस गुड़ की मांग गांवों से लेकर विदेशों तक बढ़ रही है। स्थानीय कारीगरों की मेहनत से बने इस गुड़ की गुणवत्ता और स्वाद ने इसे लोकप्रिय बना दिया है। यह क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि बन गया है।

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    बिहार के बाजारों के साथ विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही शेखोपुरसराय गुड़ की मांग। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, शेखपुरा। शेखोपुरसराय प्रखंड में निर्मित गुड़ अब कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है। स्थानीय स्तर पर केतारी (ईख) से तैयार किए जाने वाले इस शुद्ध और सुगंधित गुड़ की मांग बिहार के बाजारों के साथ विदेशों में भी तेजी से बढ़ रही है। मधुमेह के बढ़ते मामलों के कारण लोग चीनी की जगह गुड़ को अधिक सुरक्षित मान रहे हैं, जिससे इसकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई है।

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    साधारण बाजार में गुड़ 60 से 70 रुपये प्रति किलो मिलता है, जबकि शेखोपुरसराय का गुड़ 100 से 130 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। इसके बावजूद ग्राहक सीधे गांव जाकर इसे खरीदना पसंद कर रहे हैं। बाजार में मिलने वाले नकली, चीनी-आधारित गुड़ की तुलना में यहां का असली ईख का गुड़ अधिक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

    शेखोपुरसराय डीह, मोहब्बतपुर, सगमा सहित अनेक गांवों में पारंपरिक कराहे में गुड़ बनाने की प्रक्रिया अब एक संगठित कुटीर उद्योग में बदल रही है। कई परिवार अपनी मशीनें लगाकर स्थानीय स्तर पर उत्पादन कर रहे हैं, जिससे रोजगार में भी वृद्धि हो रही है।

    महरथ गांव के किसान संजय कुमार बताते हैं कि पहले चीनी मिल बंद होने से किसानों को भारी नुकसान होता था, लेकिन अब यही परेशानी अवसर में बदल गई है। ईख से बने गुड़ की भारी मांग से किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। विदेशों में रहने वाले लोग भी यहां के गुड़ की नियमित डिमांड कर रहे हैं।

    किसानों का कहना है कि ईख की पेराई कर उसका रस निकालकर बड़े कराहे में पकाया जाता है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाला गुड़ तैयार होता है। हालांकि, ईख की खेती पहले की तुलना में कम हो गई है, फिर भी कई किसान इसे जारी रखकर अपने परिवार के लिए स्थिर और बेहतर आय सुनिश्चित कर रहे हैं। शेखपुरसराय प्रखंड का यह पारंपरिक स्वाद अब नई आर्थिक संभावना का आधार बन गया है।