शेखपुरा में AQI खतरनाक स्तर पर, पराली जलाने से बढ़ रही प्रदूषण की समस्या
शेखपुरा जिले में वायु गुणवत्ता सूचकांक 150-170 के बीच है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका मुख्य कारण किसानों द्वारा पराली जलाना है, जिससे धुआं और हानिकारक गैसें फैलती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पराली जलाने पर रोक के बावजूद प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही है।

पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण। (जागरण)
जागरण संवाददाता, शेखपुरा। शेखपुरा जिले में वायु गुणवत्ता लगातार चिंताजनक स्तर पर बनी हुई है। आंकड़े के अनुसार, यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्युआई) सामान्यतः 150 से 170 के बीच दर्ज किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक श्रेणी में माना जाता है।
इस स्तर पर वायु प्रदूषण से सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन, खांसी, दमा जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों में इसका प्रभाव अधिक होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार वायु गुणवत्ता बिगड़ने की एक प्रमुख वजह किसानों द्वारा खेतों में धान की पराली (पुआल) जलाना है। पराली जलाने से हवा में धुआं, कार्बन कण, तथा अन्य हानिकारक गैसें तेजी से फैलती हैं, जिससे वातावरण में धुंध बढ़ जाती है और एक्यूआई खराब हो जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पराली जलाने पर रोक के बावजूद, इस पर प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रशासन की निगरानी और जागरूकता की कमी के कारण हर वर्ष यही स्थिति दोहराई जाती है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है, जिससे जिले में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं।
वहीं, इसको लेकर पूर्व सिविल सर्जन डॉ. कृष्ण मुरारी प्रसाद सिंह कहते है कि प्रदूषण की वजह दमा के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इस पर नियंत्रण आवश्यक है।

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