अवैध रूप से भेजे जा रहे 68 श्रमिकों को कराया गया मुक्त, दलाल व भट्ठा संचालक पर प्राथमिकी, 5 गिरफ्तार
शेखपुरा में श्रम विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 68 श्रमिकों को मुक्त कराया, जिन्हें ईंट भट्ठे पर भेजा जा रहा था। इस मामले में एक दलाल और दो बसों के चालकों समेत खलासी को गिरफ्तार किया गया है। श्रमिकों को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ले जाया जा रहा था। दलाल के पास कोई वैध दस्तावेज नहीं थे, और ईंट भट्ठा संचालक के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की जा रही है।
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अवैध रूप से भेजे जा रहे 68 श्रमिकों को कराया गया मुक्त
जागरण संवाददाता, शेखपुरा। श्रम विभाग के धावा दल ने शेखपुरा में बड़ी कार्रवाई करते हुए ईंट भट्ठा पर भेजे जा रहे 68 श्रमिकों को मुक्त कराया। इस कार्रवाई में श्रमिकों को ले जा रहे दलाल के साथ दो बसों के दो चालक तथा दो खलासी को गिरफ्तार किया गया है। दोनों बसों को भी जब्त कर लिया गया है। यह कार्रवाई शुक्रवार की रात लगभग 10 बजे की गई।
श्रम अधीक्षक राजेश कुमार सिंहा ने बताया मुक्त कराए गए श्रमिकों में दो दर्जन महिला तथा कुछ नाबालिग भी शामिल हैं। इन सभी को अवैध तरीके से उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिला स्थिति एक ईंट भट्ठा पर काम कराने के लिए ले जाया जा रहा था।
दलाल की बाइक भी जब्त
गिरफ़्तार दलाल की पहचान जिला के केवटी थाना के डीह गांव निवासी शंभू प्रसाद के रूप में हुई है। दलाल की बाइक भी जब्त की गई है। श्रम अधीक्षक ने बताया दलाल से मुक्त कराए गए श्रमिकों को उनके घर भेज दिया गया है। सरकारी प्राविधान के तहत इन श्रमिकों के पुनर्वास की कार्यवाही की जाएगी।
श्रम अधीक्षक ने बताया शनिवार की सुबह गुप्त सूचना मिली थी कि जिला के बरबीघा थाना के मिर्जापुर के पास से बड़ी संख्या में श्रमिकों को अवैध तरीके से बाहर भेजा जा रहा है। इस सूचना पर धावा दल ने छापेमारी करके दो यात्री बसों से ले जाए जा रहे इन 68 श्रमिकों को मुक्त कराया है।
श्रमिक भेजने के कोई दस्तावेज नहीं
इसी क्रम में जांच-पड़ताल में दलाल शंभू प्रसाद से भी पूछताछ की गई तो,उनके पास श्रमिक भेजने के कोई दस्तावेज नहीं मिला। इन श्रमिकों को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिला में अवस्थित लक्ष्मी ईंट भट्ठा पर भेजा जा रहा था। उक्त ईंट भट्ठा के संचालक श्रवण महतो के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कराई जा रही है।
स्थानीय दलाल जून-जुलाई में ही ईंट भट्ठों के संचालकों से श्रमिक उपलब्ध कराने के नाम पर मोटी राशि ले लेते हैं और स्थानीय स्तर पर गांवों में जाकर श्रमिकों को सांकेतिक कुछ राशि देकर श्रम विभाग से निबंधन कराए बिना ही ईंट भट्ठों पर भेज देते हैं।
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