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शिवहर में जरी उद्योग से गांव की बदलेगी तस्वीर, 500 युवाओं को मिला रोजगार

शिवहर में निर्मित उत्पाद पहुंच रहे ओमान और कतर के बाजार में। गांव में ही जरी निर्मित सामग्री का निर्माण कर भेज रहे विदेश। 30 वर्षीय मुमताजुल हक ने गांव और समाज की तस्वीर बदलने की ठानी। इससे एक हजार लोगों को जोड़ने की तैयारी चल रही है।

By Jagran NewsEdited By: Ajit kumarPublished: Thu, 06 Oct 2022 11:19 AM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 11:19 AM (IST)
जरी जड़ित कपड़े दिखाते मो. मुमताजुल। फाेटो: जागरण

शिवहर, जासं। शिवहर के पिपराही प्रखंड के महुआवा में जरी उद्योग से गांव-समाज की तस्वीर बदलने की तैयारी है। महुआवा वार्ड नौ निवासी मुमताजुल हक ने गांव में जरी उद्योग की शुरुआत की है। इसे एक माह में बड़ा स्वरूप देने की योजना है। मुमताजुल मुंबई में जरी का उद्योग चलाते हैं। वहां 500 से अधिक लोग उनसे जुड़कर व्यवसाय कर रहे हैं। मुंबई में लोगों को रोजगार देने के बाद उन्होंने गांव में उद्योग लगाने की योजना बनाई। उनके पास निर्माण और मार्केटिंग का अनुभव है। जैसे-जैसे काम बढ़ेगा, स्थानीय स्तर पर लोगों को तकनीकी रूप से दक्ष किया जाएगा। निर्माण से लेकर मार्केटिंग तक एक हजार लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य है। फिलहाल, 30 लोगों को प्रशिक्षण देकर कार्य शुरू किया गया है। इन्हें दैनिक 300 से 400 रुपये पर काम दिया गया है।

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ओमान और कतर तक भेजे जा रहे उत्पाद

महुआवा गांव में स्थापित जरी उद्योग से निर्मित कुर्ता, शेरवानी, साड़ी, सलवार सूट, लहंगा और दुपट्टा का डिजाइन तैयार किया जा रहा है। यहां निर्मित जरी जड़ित सामग्री ओमान और कतर तक भेजा जा रहा है। मुंबई की एनस मार्केटिंग की मदद से इसे ओमान और कतर तक पहुंचाया जा रहा है। काम बढ़ने के बाद मुमताजुल हक सीधे ओमान और कतर तक सामग्री भेजने की तैयारी कर रहे है।

यहां पर हब बनाने की तैयारी

तत्काल यहां 30 लोग नेट के कपड़े पर तांबा समेत धातु से कसीदाकारी कर रहे है। वहीं गांव की 50 महिलाएं नेट के कपड़ों पर स्टोन समेत रत्न जड़ रही है। 20 से अधिक लोग मार्केटिंग में लगे है। आने वाले समय में एक हजार से अधिक लोगों को रोजगार देने की योजना है। विदेशों के अलावा देश के अन्य इलाकों तथा शिवहर समेत आसपास के इलाकों में उत्पाद भेजने की योजना पर काम चल रहा है। यहां काम करने वाले शमसे आलम, मो. जकाउल्लाह, मोङ दिलशाद उर्फ सागर, रजाउल्लाह व शमसाद साहब बताते हैं कि मुमताजुल हक ने गांव को महानगर जैसे औद्योगिक हब बनाने की कोशिश की है। गांव के लोगों को गांव में ही काम मिल रहा है। इस उद्योग की स्थापना से गांव की तस्वीर बदल रही है। युवाओं और महिलाओं को रोजगार मिल रहा है।

गांव के लोगों को रोजगार देने की पहल

बेहद गरीब परिवार आने वाले अंबा दक्षिणी पंचायत के महुआवा वार्ड नौ निवासी वहीद मंसूरी के पुत्र मुमताजुल हक ने इंटर की परीक्षा पास कर 14 साल पूर्व मुंबई की राह पकड़ी। मुंबई में रहकर जड़ी का काम सीखा। फिर आठ साल तक खुद जड़ी कारखाना चलाया। वर्ष 2020 में लाकडाउन के चलते काम बंद हो गया। वे गांव लौट आए। लौटने के बाद उन्होंने गांव-समाज की गरीबी दूर करने की ठानी। पूरा साल कोरोना के साये में गुजरा। वर्ष 2021 में पंचायत चुनाव में वार्ड सदस्य चुने गए। इसके बाद उन्होंने गांव में ही जड़ी उद्योग लगाने की ठानी।

गांव में रहकर भी विदेश में सप्लाई

मुंबई के एक्पोर्ट-इम्पोर्ट कंपनी से संपर्क किया। उन्होंने पाया कि गांव में रहकर भी अपने उत्पाद विदेशों में बेच सकते हैं। इतना ही नहीं बिजली, मजदूरी और किराया का खर्च भी मुंबई से आधा है। लिहाजा, उन्होंने गांव में किराये पर मकान लेकर अगस्त में जरी उद्योग की शुरूआत की। मुंबई से जरी फैक्ट्री में काम करने वाले गांव लौटे युवकों को इसमें शामिल किया। इन्हीं युवकों के साथ खुद मेहनत कर बल पर जरी उद्योग को विस्तार दे रहे है। 30 वर्षीय मुमताजुल ने महज एक लाख की पूंजी लगाकर इसकी शुरूआत की। पांच लाख की सामग्री की आपूर्ति कर चुके हैं। अभी इनके पास छह लाख का आर्डर है। बताते हैं कि, अब तक कोई सरकारी लाभ नहीं मिल पाया है। अगर सरकार और प्रशासन स्टार्ट अप के तहत ऋण उपलब्ध कराती हैं तो वह इस उद्योग को अंतर राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करेंगे।


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