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    सारण में पति की लंबी उम्र को ले महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 10 Jun 2021 11:12 PM (IST)

    सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र की कामना को ले गुरुवार को पूरे विधि विधान के साथ वट सावित्री व्रत किया। सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके वट वृक्ष की पूजा की। हालांकि इस दौरान कोरोना से बचाव को ले जारी गाइडलाइन की धज्जियां उड़ गई। महिलाएं पूजा-अर्चना के लिए धक्का- मुक्की करती रहीं।

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    सारण में पति की लंबी उम्र को ले महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा

    सारण। सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी उम्र की कामना को ले गुरुवार को पूरे विधि विधान के साथ वट सावित्री व्रत किया। सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके वट वृक्ष की पूजा की। हालांकि इस दौरान कोरोना से बचाव को ले जारी गाइडलाइन की धज्जियां उड़ गई। महिलाएं पूजा-अर्चना के लिए धक्का- मुक्की करती रहीं। हालांकि कुछ महिलाओं ने शारीरिक दूरी का पालन करते हुए घर में ही गमला में लगे वट वृक्ष की पूजा अर्चना की। सार्वजनिक जगहों पर लगे वट वृक्ष की पूजा करने गई महिलाएं मास्क भी नहीं पहनी थीं। पंडित अनीत शुक्ल ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा का, तने में भगवान विष्णु का तथा इसकी डालियों और पत्तों में भगवान शिव का वास होता है। इसलिए इसकी पूजा से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वट सावित्री की पूजा से महिलाओं व उनके पति के जीवन में आए सभी संकट टल जाते हैं। हिदू शास्त्र के प्रसिद्ध कथा के अनुसार पति सत्यवान के प्राण हर कर जब यमराज ले जाने लगे तो अपने पति का जीवन वापस पाने के लिए सावित्री यमराज के पीछे -पीछे चलने लगी। यमराज ने उसे वापस जाने को कहा, लेकिन वह कही कि अपने पति धर्म के अनुसार उनके पति जहां जाएंगे वहां वह भी जाएगी। जिस पर वह प्रसन्न होकर तीन वर मांगने को कहे। जिस पर सावित्री ने एक सौ पुत्रों की माता होने का वरदान मांगा, यह वर यमराज ने उसे दे दिया। इसके बाद सावित्री ने कहा कि एक पतिव्रता स्त्री अपने पति के बिना ऐसा कैसे कर सकती है। यह सुनकर यमराज ने उनके पति का प्राण लौटा दिया। जिसके बाद वटवृक्ष के नीचे सत्यवान के शव में प्राण आ गया। उसके बाद से वट वृक्ष की पूजा होने लगी। महिलाएं वट वृक्ष की पूजा-अर्चना के बाद पेड़ में धागा बांध कर 108 बार परिक्रमा की। उसके बाद सौभाग्य की वस्तु (काजल, मेहंदी, सिदूर, चूड़ी, बिदी, वस्त्र, स्वर्णाभूषण एवं दर्पण) चढ़ाया। वट वृक्ष की पूजा के बाद महिलाएं घर में अपने पति का पैर छूकर आशीर्वाद लीं और प्रसाद ग्रहण की। इनसेट :

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    बरगद के पेड़ में धागा बांध 108 बार परिक्रमा कर अखंड सुहाग की कामना

    संसू, रिविलगंज : अक्षय सुहाग व पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य की कामना को ले सुहागिन महिलाओं ने गुरुवार को वट सावित्री पूजा की। सुबह से ही सुहागिन महिलाओं ने शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना करने के लिए सज-धजकर हाथों में पूजा की डाली, पकवान और बांस के बने पंखे के साथ बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा-अर्चना की। पंडित योगेंद्र द्विवेदी ने कहा कि वट सावित्री की पूजा-अर्चना अनादि काल से होते आ रही है। इनसेट :

    विधि विधान से महिलाओं ने की वट सावित्री पूजा

    संसू जलालपुर : अमर सुहाग को ले महिलाओं ने गुरुवार को वट सावित्री की पूजा की। पयहारी धाम सम्होता में महिलाओं की भारी भीड़ रही। वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ देव वृक्ष माना जाता है। वृक्ष की परिक्रमा करते समय इसपर 108 बार कच्चा सूत लपेटा जाता है।

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