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    लोकतंत्र के महापर्व में पुरुषों से आगे निकलीं आधी आबादी, वोटिंग के लिए महिलाओं की लंबी कतारें

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 02:42 PM (IST)

    छपरा जिले में मतदान के दौरान महिलाओं ने पुरुषों से ज़्यादा उत्साह दिखाया। सुबह 7 बजे से पहले ही मतदान केंद्रों पर महिलाओं की लंबी कतारें लग गईं। महिलाओं ने घर के काम से पहले मतदान को प्राथमिकता दी। बच्चों को गोद में लेकर भी महिलाएं वोट डालने पहुंचीं। उनका कहना है कि वे लोकतंत्र में सक्रिय भूमिका निभाना चाहती हैं।

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    वोटिंग के लिए महिलाओं की लंबी कतारें

    प्रवीण, छपरा। जिले की आधी आबादी यानी महिलाएं जनसंख्या के अनुपात में कम होने के बावजूद मतदान केंद्रों पर सबसे आगे दिखाई दीं। गुरुवार की सुबह 7 बजे से पहले ही सभी विधानसभा क्षेत्रों के बूथों पर महिलाओं की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलीं। लोकतंत्र के इस महापर्व में महिलाओं का उत्साह पुरुषों से कहीं अधिक नजर आया।सुबह से ही महिलाएं अपने घरों से निकलकर मतदान केंद्रों की ओर रुख करती दिखीं।

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    कई जगह तो मतदान शुरू होने से पहले ही बूथों पर भीड़ उमड़ पड़ी। हर बूथ पर दो अलग-अलग लाइनें लगी थीं।एक पुरुषों की और एक महिलाओं की लेकिन महिलाओं की लाइन अधिक लंबी थी। इससे यह स्पष्ट संदेश गया कि महिलाएं अब लोकतंत्र की सशक्त भागीदार बन चुकी हैं।

    बहुएं बच्चों को संभाल रही

    अमनौर विधानसभा क्षेत्र के लंगरपुर गांव में 65 वर्षीय देवंती देवी ने बताया कि घर में बहुएं बच्चों को संभाल रही हैं और हमारे जाने के बाद वे भी वोट देने आएंगी। यह मौका पांच साल में एक बार मिलता है, इसलिए सुबह-सुबह ही पति के साथ वोट डालने चली आई हूं।

    इसी तरह गरखा विधानसभा के अख्तियारपुर गांव, एकमा के परसागढ़, माझी के मुबारकपुर, छपरा विधानसभा के रिविलगंज, सोनपुर के आमी गांव, परसा विधानसभा के सूतिहार, तरैया के भटकाई और मढ़ौरा के रामपुर गांव समेत सभी विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं की उत्साही भागीदारी देखने को मिली।

    बच्चों को गोद में लेकर भी मतदान 

    सभी मतदान केंद्रों पर सुबह से ही महिलाओं की भीड़ इतनी अधिक थी कि कई जगहों पर लाइनें बूथ परिसर से बाहर तक चली गईं। कुछ बूथों पर तो महिलाएं अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर भी मतदान के लिए खड़ी रहीं।

    महिलाओं ने बताया कि वे घर के कामकाज को बाद में पूरा करेंगी, लेकिन सबसे पहले लोकतंत्र के इस पर्व में अपना योगदान देना जरूरी समझती हैं। यह उत्साह बताता है कि अब महिलाएं केवल घर-परिवार तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि देश और प्रदेश की राजनीति में भी अपनी सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार हैं।