सारण में जंगली सुअर, नीलगाय और बंदरों का आतंक, गेहूं-आलू व दलहन फसलों पर संकट; किसानों ने की मुआवजे की मांग
सारण के गड़खा प्रखंड में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ गया है। जंगली सुअर, घोड़परास और बंदर खेतों में घुसकर गेहूं, आलू, दलहन और तेलहन की फसलों को नुकसान प ...और पढ़ें

किसानों ने की मुआवजे की मांग
संवाद सूत्र, गड़खा (सारण)। गड़खा प्रखंड क्षेत्र में जंगली जानवरों का बढ़ता आतंक किसानों के लिए गंभीर संकट बन गया है। जंगली सुअर, घोड़परास और बंदरों के झुंड खेतों में घुसकर गेहूं, आलू, दलहन और तेलहन की फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहे हैं।
मेहनत और लागत के बाद तैयार हो रही फसलें कुछ ही घंटों में चौपट हो जा रही हैं, जिससे किसानों की आर्थिक कमर टूटती जा रही है।
आलू और दलहन की फसलों को नुकसान
किसानों का कहना है कि रात के समय जंगली सुअर खेतों में घुसकर पूरी फसल रौंद देते हैं, वहीं घोड़परास दिन-दहाड़े फसलों को चर जाती हैं। बंदरों के झुंड भी आलू और दलहन की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कई किसान रात-रात भर खेतों की रखवाली करने को मजबूर हैं, फिर भी जानवरों के आतंक से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण इलाकों में यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
हर मौसम में फसल बर्बाद होना आम बात
किसान रविन्द्र सिंह, अजय सिंह, बच्चा सिंह, अरुण राय बताते हैं कि पहले कभी-कभार ही नुकसान होता था, लेकिन अब हर मौसम में फसल बर्बाद होना आम बात हो गई है। इससे न सिर्फ किसानों की आय प्रभावित हो रही है, बल्कि खेती से उनका भरोसा भी डगमगाने लगा है।
किसानों ने प्रशासन और सरकार से जंगली जानवरों पर प्रभावी नियंत्रण लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में खेती करना और भी मुश्किल हो जाएगा।
मुआवजा देने की मांग
किसानों ने मुआवजा देने, खेतों के चारों ओर सोलर फेंसिंग लगाने तथा वन विभाग की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने की मांग उठाई है। स्थानीय किसानों का कहना है कि खेती ही उनकी आजीविका का मुख्य साधन है।
ऐसे में जंगली जानवरों से सुरक्षा नहीं मिली तो किसान भारी संकट में फंस जाएंगे। सरकार से उम्मीद है कि वह इस गंभीर समस्या पर शीघ्र ध्यान देकर किसानों को राहत पहुंचाएगी।

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