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    Saran News: खेतों में नीलगाय, बंदर और जंगली सुअरों का आतंक, किसानों ने छोड़ दी सब्जी की खेती

    सारण के पीयानो गांव में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ गया है जिससे किसान परेशान हैं। नीलगाय बंदर और जंगली सुअर खेतों में फसलें नष्ट कर रहे हैं। किसान राजकुमार सिंह ने बताया कि धान और गेहूं के अलावा कोई फसल सुरक्षित नहीं है। कई किसानों ने सब्जी की खेती छोड़ दी है।

    By Krishna Parihar Edited By: Krishna Parihar Updated: Tue, 26 Aug 2025 02:45 PM (IST)
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    सारण में किसानों ने छोड़ दी सब्जी की खेती

    जागेंद्र सिंह, जलालपुर (सारण)। पीयानो गांव कभी सब्जी उत्पादन का प्रमुख केंद्र था, लेकिन अब यह जंगली जानवरों के आतंक का शिकार है। नीलगाय, बंदर और जंगली सुअर खेतों और घरों तक में उत्पात मचा रहे हैं। कई किसानों ने सब्जी की खेती पूरी तरह छोड़ दी है। मंगलवार को आयोजित किसान संवाद संगोष्ठी में किसानों ने इस गंभीर समस्या को उजागर किया।

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    संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे किसान राजकुमार सिंह ने बताया कि धान और गेहूं के अलावा कोई भी फसल अब सुरक्षित नहीं बची। किसान रविंद्र ने जानकारी दी कि गांव में करीब 500 बंदर, 250 नीलगाय और 100 जंगली सुअर हैं। मोहम्मद हनीफ ने कहा कि दस साल पहले यही गांव सब्जी उत्पादन की वजह से समृद्ध था, लेकिन अब किसान फिर से गरीबी की ओर लौट रहे हैं।

    जागरण पंचायत क्लब के सचिव शैलेश साह ने बताया कि आलू, गाजर, मूली, शकरकंद जैसी जड़ वाली फसलें जंगली सुअरों द्वारा खोदकर नष्ट कर दी जाती हैं। नीलगाय गेहूं, अरहर और तिलहनी फसलें चट कर देती हैं।

    मटर और मडुआ की फसलें भी पूरी तरह खतरे में हैं। प्रभु यादव ने बताया कि बंदर केवल फसल ही नहीं, बल्कि घरों में भी हमला कर रहे हैं। कई बार वे घर की छत पर चढ़कर पका हुआ खाना ले जाते हैं। जंगली सुअरों का आतंक पिछले दो वर्षों से लगातार बढ़ रहा है।

    किसान संवाद संगोष्ठी में तारकेश्वर सिंह, भूपेन मिश्रा, कमलदेव यादव, सुरेंद्र प्रसाद, कन्हैया यादव और इंद्रजीत कुमार सिंह समेत कई ग्रामीण उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि अगर जल्दी समाधान नहीं निकला तो सब्जी उत्पादन पर संकट और गहरा जाएगा और गांव की गरीबी बढ़ती रहेगी।

    जलालपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी विनोद कुमार प्रसाद ने कहा कि बंदरों और अन्य जंगली जानवरों के उत्पात को गंभीरता से लिया जा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वन विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर उन्हें बेतिया के जंगल या किसी अन्य सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कराने का प्रयास किया जाएगा।