सोनपुर मेले का सुपरस्टार बना एक करोड़ का 'प्रधान बाबू', फोटो खींचने के लिए उमड़ रही भीड़
सारण के सोनपुर मेले में एक करोड़ रुपये का भैंसा 'प्रधान बाबू' आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। गुजरात की जफरादी नस्ल का यह भैंसा, अपने विशाल आकार और आकर्षक व्यक्तित्व के कारण लोगों को आश्चर्यचकित कर रहा है। रोहतास के पूर्व मुखिया बीरबल कुमार सिंह इसे पहली बार मेले में लाए हैं, जहाँ लोग इसकी तस्वीरें लेने के लिए उमड़ रहे हैं और इसकी खूब चर्चा हो रही है।

अपने मालिक के साथ प्रधानबाबू। फाइल फोटो
संवाद सूत्र, नयागांव सारण। हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला इस बार एक ऐसे पशु आकर्षण का गवाह बन रहा है, जिसकी चर्चा पूरे इलाके में तेजी से फैल रही है। पशु बाजार के एक कोने पर भीड़ का ऐसा सैलाब उमड़ रहा है मानो कोई खास प्रदर्शनी लगी हो।
दरअसल, लोगों का ध्यान खींच रहा है एक अनोखा और सुपरसाइज भैंसा— ‘प्रधान बाबू’, जिसकी कीमत इसके मालिक पूरे एक करोड़ रुपये बता रहे हैं। कीमत सुनकर मेले में आने वाले लोग हैरान भी हैं और उत्साहित भी कि ऐसा दुर्लभ भैंसा देखने का मौका उन्हें मिल रहा है।
खास किस्म का है भैंसा
रोहतास जिले के सूरजपुर प्रखंड के गोसली पंचायत स्थित रतन पट्टी गांव से आए पूर्व मुखिया बीरबल कुमार सिंह इस बार पहली बार ‘प्रधान बाबू’ को सोनपुर मेला लेकर पहुंचे हैं। वे बड़े गर्व के साथ बताते हैं कि यह भैंसा साधारण नस्ल का नहीं, बल्कि गुजरात के जाफराबाद क्षेत्र की मशहूर और दुर्लभ जफरादी नस्ल से संबंध रखता है।
इसकी मां को विशेष रूप से गुजरात से मंगाया गया था और उसी की यह कीमती संतति है, जिसे वे वर्षों से विशेष देखभाल और वैज्ञानिक पद्धति से तैयार कर रहे हैं। सिर्फ 38 महीने की उम्र में ‘प्रधान बाबू’ का विशाल कद-काठी, चमकदार शरीर और दमदार बनावट देखने वालों को आश्चर्यचकित कर देता है।
लोगों की बढ़ी दिलचस्पी
पशु बाजार में जहां भी नजर डालें, लोग मोबाइल कैमरे उठाकर इसकी तस्वीरें व वीडियो कैद करने में जुटे दिखाई देते हैं। बच्चे हों या बुजुर्ग, हर कोई इसकी ऊंचाई, चौड़ी देह और आकर्षक व्यक्तित्व को देखकर दंग है। कई पशुपालक तो इसकी मांसपेशियों व निखरी बनावट की तुलना विदेशी नस्ल से करते नजर आए।
पूर्व मुखिया बीरबल सिंह बताते हैं कि ‘प्रधान बाबू’ को देखने के बाद कई खरीदारों ने दिलचस्पी दिखाई है। उनके अनुसार अब तक कई लोग पूछताछ कर चुके हैं और 50 लाख रुपये तक की बोली लगाकर चले गए हैं, लेकिन इसकी वास्तविक कीमत एक करोड़ रुपये से कम नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि भैंसे की देखभाल में प्रतिदिन हजारों रुपये खर्च होते हैं। खास चारा, दाना, दुधारू आहार और नियमित चिकित्सा परीक्षण इसकी दिनचर्या का हिस्सा है। बातचीत के दौरान बीरबल सिंह ने इसके नामकरण से जुड़ा रोचक प्रसंग भी बताया।
नाम के पीछे है दिलचस्प कहानी
वे कहते हैं कि जब ‘प्रधान बाबू’ का जन्म हुआ था, तब वे खुद मुखिया पद पर थे। गांव में जन्म को लेकर इतनी खुशी थी कि लोगों ने मजाक में कहा कि अब तो मुखिया जी के घर भैंसा भी प्रधान जी की तरह पैदा हुआ है।
बस, उसी खुशी और माहौल में इसका नाम रख दिया गया ‘प्रधान बाबू’। इसके बाद से भैंसा धीरे–धीरे गांव का गौरव बन गया और अब सोनपुर मेला में सुपरस्टार की तरह छाया हुआ है।
पशु बाजार में घूम रहे लोग भी ‘प्रधान बाबू’ को लेकर अपनी राय खुलकर जाहिर कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि ऐसा भैंसा जिंदगी में पहली बार देखा है।” तो कोई कहता मिला कि मेला तो हर साल लगता है, पर ऐसा अनोखा भैंसा रोज़-रोज़ कहां मिलता है।
सोनपुर मेला में इस बार सबसे ज्यादा भीड़, सबसे ज्यादा चर्चा और सबसे ज्यादा कैमरों की फ्लैश एक ही नाम के आसपास घूम रही है।

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