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    Pitru Paksha/Navratri 2025: शताब्दी बाद पितृ पक्ष की शुरुआत ग्रहण से, नवरात्र में हाथी पर आएंगी मां दुर्गा

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 01:15 PM (IST)

    इस वर्ष पितृ पक्ष और शारदीय नवरात्र दुर्लभ संयोग लेकर आ रहे हैं। पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से और समापन सूर्य ग्रहण से होगा। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा जो सुख-समृद्धि का प्रतीक है। चतुर्थी तिथि बढ़ने से नवरात्र दस दिनों का होगा। ग्रहण काल में श्राद्ध का फल कई गुना बढ़ जाता है।

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    शताब्दी बाद पितृ पक्ष की शुरुआत ग्रहण से, नवरात्र में हाथी पर आएंगी मां दुर्गा

    संवाद सूत्र, दिघवारा (सारण)। इस बार का पितृ पक्ष और शारदीय नवरात्र दोनों ही बेहद खास और दुर्लभ संयोग लेकर आ रहे हैं। शताब्दी बाद ऐसा अवसर बन रहा है जब पितृ पक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से और समापन सूर्य ग्रहण से होगा। वहीं शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा और प्रस्थान मनुष्य के कंधे पर, जिसे शास्त्रों में शुभदायक माना गया है।

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    ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल में किए गए श्राद्ध, दान और तर्पण का फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता है।

    उन्हचक निवासी पंडित नीलकमल उपाध्याय ने बताया कि पितृ पक्ष सात सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान ग्रहण काल में मंत्र-जप, संकल्प और तर्पण करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और आशीर्वाद प्रदान करती है। साथ ही पितृ दोष शांत करने का यह सर्वोत्तम समय माना गया है।

    उन्होंने बताया कि इस बार तिथि क्षय के कारण श्राद्ध पक्ष 15 दिन का ही रहेगा। षष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध एक साथ 13 सितंबर को होगा, हालांकि षष्ठी का श्राद्ध 12 सितंबर को सुबह 10 बजे के बाद भी किया जा सकता है।

    सात सितंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12:56 बजे से ही शुरू हो जाएगा, ऐसे में उस दिन सभी श्राद्ध कर्म दोपहर पूर्व ही पूरे करने होंगे।

    चंद्र ग्रहण सात सितंबर की रात 9:56 बजे शुरू होकर 1:27 बजे तक चलेगा। सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात 10:59 बजे से 22 सितंबर की सुबह 3:23 बजे तक रहेगा, लेकिन भारत में दिखाई न देने के कारण इसका सूतक प्रभाव मान्य नहीं होगा।

    इधर, शारदीय नवरात्र भी इस बार विशेष संयोग लेकर आ रहा है। आमी मंदिर के पुजारी जितेन्द्र तिवारी उर्फ भीखम बाबा ने बताया कि इस वर्ष नवरात्र 22 सितंबर से शुरू होकर 10 दिनों तक चलेगा। प्रतिपदा की शुरुआत भोर में 1:25 बजे होगी और मध्यरात्रि के बाद 2:57 बजे तक रहेगी।

    चतुर्थी तिथि में बढ़ोतरी होने के कारण भक्त नौ नहीं, बल्कि दस दिनों तक मां दुर्गा की आराधना करेंगे। मां दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है, जो सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक है, जबकि उनका प्रस्थान मनुष्य के कंधे पर होगा, जिसे भी शुभ माना जाता है।

    पंडितों के अनुसार, इस बार मां दुर्गा का आगमन सोमवार के दिन हो रहा है, जो भी मंगलकारी संयोग माना गया है। अष्टमी का व्रत 30 सितंबर को और महानवमी एक अक्टूबर को मनाई जाएगी। दो अक्टूबर को मां दुर्गा की विदाई होगी।

    ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि ग्रहण और नवरात्र के इस दुर्लभ योग का प्रभाव देश और दुनिया के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आएगा। पितरों की तृप्ति, समाज में सुख-शांति और धार्मिक आस्था के वातावरण से जनमानस में उत्साह का संचार होगा।

    शारदीय नवरात्र की तिथियां इस प्रकार रहेंगी: 

    तारीख तिथि/पर्व
    22 सितंबर प्रतिपदा
    23 सितंबर द्वितीया
    24 सितंबर तृतीया
    25-26 सितंबर चतुर्थी
    27 सितंबर पंचमी
    28 सितंबर षष्ठी
    29 सितंबर सप्तमी
    30 सितंबर अष्टमी
    01 अक्टूबर नवमी
    02 अक्टूबर दशहरा

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