Updated: Sat, 20 Sep 2025 05:35 PM (IST)
छपरा के स्थायी लोक अदालत ने जयप्रकाश विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। छात्र लक्ष्मी सहनी को हिंदी की परीक्षा में अनुपस्थित दिखाने के कारण यह जुर्माना लगाया गया। अदालत ने विश्वविद्यालय को तीन महीने के भीतर छात्र को जुर्माना राशि देने का आदेश दिया है ताकि छात्र की पढ़ाई प्रभावित न हो।
जागरण संवाददाता, छपरा। स्थाई लोक अदालत, छपरा ने जयप्रकाश विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक की गंभीर लापरवाही को देखते हुए उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
अदालत ने आदेश दिया है कि यह राशि वाद के आवेदक, मांझी थाना क्षेत्र के फुलवरिया निवासी छात्र लक्ष्मी सहनी को आदेश की तारीख से तीन माह के भीतर अदा की जाए। यह फैसला स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष बृजेश कुमार मालवीय और पीठ सदस्य मुस्तरी खातून की संयुक्त पीठ ने मुकदमा पूर्व विवाद संख्या 27/19 पर सुनाया।
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आवेदक लक्ष्मी सहनी वर्ष 2013–2016 सत्र में सुधा देवी डिग्री महाविद्यालय, ताजपुर से इतिहास प्रतिष्ठा का छात्र था। उसने 2014 में प्रथम खंड की परीक्षा दी थी, जिसमें 50 अंकों की हिंदी और 50 अंकों की अंग्रेजी का पेपर शामिल था।
सहनी का आरोप था कि विश्वविद्यालय ने उसे हिंदी विषय में अनुपस्थित दर्शा दिया, जबकि उसने परीक्षा दी थी। इस वजह से उसका पार्ट-1 का परिणाम प्रमोट कर दिया गया। बाद में पार्ट-2 का परिणाम प्रकाशित हुआ, लेकिन पार्ट-1 के रिजल्ट में सुधार नहीं हुआ।
छात्र ने बताया कि उसने अपनी उपस्थिति पर्ची (अटेंडेंस सीट) विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराई थी, बावजूद इसके कोई सुधार नहीं किया गया। नतीजतन वह पार्ट-3 की परीक्षा देने से वंचित हो गया। न्याय की तलाश में उसने छपरा व्यवहार न्यायालय के स्थाई लोक अदालत में केस दायर किया।
अदालत ने विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया, लेकिन प्रारंभ में उनकी ओर से कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुआ। इसके बाद लंबे समय तक अदालत में अध्यक्ष एवं सदस्य की नियुक्ति नहीं रहने के कारण पांच वर्ष तक सुनवाई नहीं हो सकी।
एक बार फिर अदालत सक्रिय होने के बाद विश्वविद्यालय के कर्मचारी न्यायालय में हाजिर हुए और छात्र का पार्ट-1 का रिजल्ट तैयार करके प्रस्तुत किया।
हालांकि, अदालत ने परीक्षा नियंत्रक की लापरवाही को गंभीर माना और सख्त टिप्पणी करते हुए तीन माह के भीतर एक लाख रुपये जुर्माना भुगतान करने का आदेश दिया।
साथ ही विश्वविद्यालय को निर्देश दिया गया है कि आवेदक के पार्ट-3 की परीक्षा में सहयोगात्मक रुख अपनाया जाए, ताकि उसकी पढ़ाई और भविष्य प्रभावित न हो।
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