Updated: Mon, 26 May 2025 03:40 PM (IST)
बिहार विधान परिषद की शिक्षा समिति ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों की सेवा स्थायी करने की अनुशंसा की है। इसमें सहायक प्राध्यापकों की आयु सीमा 65 वर्ष करने और हटाए गए शिक्षकों को वापस लेने का प्रस्ताव है। जेपी विश्वविद्यालय अतिथि शिक्षक संघ ने इस निर्णय का स्वागत किया है। यह अनुशंसा पत्र शिक्षा विभाग को भेजा गया है जिसमें अन्य शिक्षकों की भी चर्चा है।
जागरण संवाददाता, छपरा। जयप्रकाश विश्वविद्यालय सहित बिहार के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों की सेवा को स्थाई करने की अनुशंसा बिहार विधान परिषद की शिक्षा समिति ने की है। इस अनुशंसा में अतिथि सहायक प्राध्यापकों की सेवा की आयु सीमा 65 वर्ष करने और हटाए गए अतिथि शिक्षकों को पुनः शामिल करने का प्रस्ताव भी शामिल है।
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जेपी विश्वविद्यालय अतिथि सहायक प्राध्यापक संघ ने इस निर्णय के लिए शिक्षा समिति के अध्यक्ष एवं बिहार विधान परिषद के उप सभापति प्रो. राम वचन राय और सभी विधान पार्षदों का आभार व्यक्त किया है।
जेपी विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. हरिमोहन पिंटू ने इस अनुशंसा का स्वागत करते हुए कहा कि इससे सारण और अन्य विश्वविद्यालयों के कॉलेजों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों के लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद जगी है।
उन्होंने बताया कि सरकारी शिक्षकों की तरह उनकी सेवा को स्थायी करने के लिए बिहार विधान परिषद के उप सभापति ने अपनी मुहर लगा दी है। बिहार विधान परिषद के उपसचिव शंकर कुमार ने 8 अप्रैल 2025 को हुई बैठक में लिए गए निर्णय का अनुशंसा पत्र शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ को भेजा है।
इस अनुशंसा पत्र में अतिथि शिक्षकों के अलावा अन्य शिक्षकों की भी चर्चा की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति विश्वविद्यालय चयन समिति की अनुशंसा पर हुई है, जिनकी अर्हता और योग्यता स्थायी शिक्षकों के समतुल्य है।
हालांकि, पांच से छह वर्षों की नियमित सेवा के बावजूद कई शिक्षकों को कार्य-मुक्त कर दिया गया था। समिति ने ऐसे शिक्षकों की सेवा को पुनः बहाल करने और उनकी आयु सीमा को स्थायी शिक्षकों के समान 65 वर्ष करने की अनुशंसा की है।
इसके अतिरिक्त, राज्य के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों की सेवा को 60 वर्ष करने का भी प्रस्ताव है। बिहार विधान परिषद की शिक्षा समिति ने सभी निर्णयों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए अग्रेतर कार्रवाई करने की बात कही है।
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