गरीबी से जंग जीतकर BSF कांस्टेबल बनी मौसम कुमारी, कस्तूरबा स्कूल से पढ़कर बदली किस्मत
छपरा की मौसम कुमारी की कहानी प्रेरणादायक है जो गरीबी और मुश्किलों से लड़कर बीएसएफ कांस्टेबल बनीं। पिता टेंपो चालक हैं और परिवार बड़ा होने से पढ़ाई में दिक्कतें आईं। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय ने उन्हें सहारा दिया जहाँ मुफ्त शिक्षा मिली। कराटे में दक्षता हासिल कर उन्होंने प्रशिक्षण दिया और अपनी पढ़ाई पूरी की।

अमृतेश,छपरा। कभी हालात ऐसे थे कि पढ़ाई का सपना अधूरा ही रह जाएगा, लेकिन हिम्मत और संघर्ष ने हालात बदल दिए। हम बात कर रहे रिविलगंज प्रखंड के शेखपुरा गांव की रहने वाली मौसम कुमारी आज सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में कांस्टेबल बन चुकी हैं। यह सफर आसान नहीं था, बल्कि गरीबी, पारिवारिक बोझ और संघर्ष की आग में तपकर ही उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।
मौसम कुमारी के पिता अखिलेश्वर सिंह टेंपो चालक हैं और मां नीतु देवी गृहिणी। घर में दो बहनें, एक भाई, दादा-दादी सहित बड़ा परिवार। आर्थिक तंगी इतनी कि अक्सर पढ़ाई बीच में रुक जाने की नौबत आ जाती। 2010 में सरकारी विद्यालय में पढ़ाई शुरू हुई थी, मगर हालात ने कदम रोक दिए।
इसी बीच, गांव में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) की जानकारी मिली। वहां निःशुल्क शिक्षा और छात्रावास की सुविधा थी। मौसम कुमारी की किस्मत यहीं से बदलनी शुरू हुई। परिवार की सहमति से 2014 में उनका नामांकन केजीबीवी में हो गया।
पढ़ाई टूटने से शुरुआत में थोड़ी कमजोरी महसूस हुई, लेकिन मेहनत और लगन ने जल्द ही कमी पूरी कर दी। 2016 में उन्होंने आठवीं पास की और पढ़ाई के साथ-साथ कराटे का अभ्यास भी जारी रखा। यही हुनर उनके जीवन का नया आधार बना।
कराटे में दक्षता हासिल करने के बाद मौसम ने सारण, सिवान और नालंदा के कई कस्तूरबा विद्यालयों में प्रशिक्षण देना शुरू किया। इस कार्य से मिले पारिश्रमिक से उन्होंने मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई पूरी की।
कराटे के कोच भी हमेशा उसे फौज में जाने की प्रेरणा देते रहे।इसी दौरान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में कांस्टेबल की भर्ती निकली। मौसम कुमारी ने बिना हिम्मत हारे फार्म भरा। कराटे से अर्जित अनुशासन और आत्मविश्वास ने उनकी तैयारी में चार चांद लगा दिए।
प्रशिक्षण से मिली कमाई से उन्होंने गाइड और पत्रिकाएं खरीदी और नियमित अभ्यास करती रहीं।आखिरकार, मेहनत रंग लाई और मौसम का चयन बीएसएफ कांस्टेबल के पद पर हो गया। पश्चिम बंगाल में तैनात मौसम आज गर्व से कहती हैं कि अगर केजीबीवी और बीईपी (बिहार एजुकेशन प्रोजेक्ट) का सहारा न मिला होता, तो शायद सपने अधूरे ही रह जाते।
आज मौसम अपने माता-पिता की आर्थिक मदद करती हैं और गांव-परिवार का गौरव बनी हैं। उनकी कहानी इलाके की तमाम बालिकाओं के लिए प्रेरणा है। मौसम कुमारी की इस सफलता पर कस्तूरबा के डीजीसी डॉ.कुमारी मेनका ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि मौसम कस्तूरबा की अन्य छात्राओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
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