Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Saran Candidates 2025: सारण में पहली बार राजद और एनडीए ने दो-दो महिला प्रत्याशियों पर खेला दांव

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 06:36 PM (IST)

    सारण जिले में इस बार विधानसभा चुनाव में महिला प्रत्याशियों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। राजद और एनडीए ने दो-दो महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह महिला सशक्तिकरण का संकेत है और राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है। मतदाताओं में भी इस बदलाव को लेकर उत्सुकता है।

    Hero Image

    चांदनी सिंह, करिश्मा राय, रीमा सिंह और छोटी कुमारी।

    प्रवीण, छपरा। सारण की राजनीति इस बार एक नए और दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। विधानसभा चुनाव में पहली बार यहां इतनी बड़ी संख्या में महिला प्रत्याशी मैदान में हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने जिले की दो सीटों पर महिलाओं पर दांव खेला है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व लाजपा रा ने भी एक-एक महिला उम्मीदवार को टिकट देकर मुकाबले को और रोचक बना दिया है।

    जिले की 10 विधानसभा सीटों में से चार पर प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा महिला प्रत्याशियों को उतारा जाना अपने आप में चर्चा का विषय बन गया है। यह पहली बार है जब सारण में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी इस स्तर पर देखने को मिल रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बदलाव न केवल महिला सशक्तिकरण का संकेत है, बल्कि यह बताता है कि अब राजनीति के क्षेत्र में महिलाएं मजबूती से अपनी जगह बना रही हैं।

    राजद ने इस बार बनियापुर से चांदनी सिंह, परसा से करिश्मा राय को प्रत्याशी बनाया है। वहीं भाजपा ने छपरा सीट से पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष छोटी कुमारी पर भरोसा जताया है, जबकि लोजपा रामविलास ने मढ़ौरा से भोजपुरी कलाकार सीमा सिंह को टिकट दिया है।

    सारण की इस जंग को लेकर इंटरनेट मीडिया पर भी खूब चर्चाएं हो रही हैं। लोग इसे ‘महिला शक्ति के चुनावी उदय’ के रूप में देख रहे हैं। अब तक राजनीति में पुरुषों का वर्चस्व रहने के बावजूद इस बार महिलाओं की बढ़ती मौजूदगी ने चुनावी माहौल को नई दिशा दी है।

    राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह सारण की राजनीति में एक सकारात्मक और ऐतिहासिक बदलाव है। 2010 के परिसीमन के बाद यह पहला मौका है जब जिले की कई सीटों पर महिला उम्मीदवारों को प्रमुख दलों ने टिकट दिया है। अब तक महिलाओं को अक्सर हाशिए पर रखा गया था, लेकिन इस बार उन्हें बराबरी का अवसर मिला है।

    स्थानीय लोगों का भी मानना है कि महिलाओं का बढ़ता राजनीतिक प्रतिनिधित्व समाज में समानता और सशक्तिकरण का प्रतीक है। वे कह रहे हैं कि जब महिलाएं शिक्षा, प्रशासन, खेल और अन्य क्षेत्रों में अपनी पहचान बना चुकी हैं, तो राजनीति में भी उनकी भूमिका अहम होनी चाहिए।

    महिला उम्मीदवारों के चुनाव मैदान में उतरने से मतदाताओं के बीच भी उत्सुकता बढ़ गई है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या मतदाता इस नए परिवर्तन को स्वीकार करते हुए महिलाओं को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने का मौका देंगे। चुनाव परिणाम चाहे जो भी हो, इतना तय है कि इस बार महिलाओं की भागीदारी ने जिले की सियासत में नई ऊर्जा और नई सोच का संचार कर दिया है।