सारण में झगड़ा शांत कराने गए बुजुर्ग की पिटाई से मौत, आठ दिन बाद तोड़ा दम
बिहार के सारण जिले में एक बुजुर्ग की पिटाई से मौत हो गई। झगड़ा शांत कराने गए बुजुर्ग को पीटा गया, जिससे उनकी मौत हो गई। घटना के आठ दिन बाद उन्होंने दम ...और पढ़ें

परिजन परेशान
जागरण टीम, छपरा/पानापुर (सारण)। सारण जिले के पानापुर थाना क्षेत्र के रसौली गांव में दो पक्षों के विवाद को शांत कराने की कोशिश में एक बुजुर्ग की जान चली गई। बीते आठ दिनों से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे 60 वर्षीय दरोगा साह ने सोमवार दोपहर दम तोड़ दिया। घटना को लेकर गांव में गम और दहशत दोनों का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि दरोगा साह गांव में शांत स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे।
मृतक की बहू मंजू देवी ने बताया कि घटना एक दिसंबर की रात की है। उनके दरवाजे के सामने गांव के ही दो पक्ष किसी बात को लेकर आपस में भिड़ गए थे।
शोर-शराबा बढ़ा तो दरोगा साह ने घर से बाहर निकलकर दोनों पक्षों को समझाने और झगड़ा शांत कराने की कोशिश की। इसी दौरान एक पक्ष के लोगों ने उल्टे बुजुर्ग पर ही हमला बोल दिया।
आरोप है कि हमलावरों ने लोहे की रॉड और धारदार हथियार से दरोगा साह को बेरहमी से पीटा। हमले में उनके सिर व शरीर पर गंभीर चोटें आईं।
चीख-पुकार सुनकर परिजन बाहर पहुंचे और उन्हें तुरंत पानापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां उनकी हालत गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने तुरंत छपरा रेफर कर दिया।
परिजनों के मुताबिक, उस समय घर में मदद करने वाला कोई पुरुष सदस्य मौजूद नहीं था। मजबूरी में वे उन्हें तरैया बाजार स्थित एक निजी नर्सिंग होम ले गए, जहां दरोगा साह पिछले आठ दिनों से इलाजरत थे।
चिकित्सकों की कोशिशों के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और अंततः आठ दिसंबर की दोपहर उन्होंने दम तोड़ दिया।
मृतक के स्वजन जब शव लेकर गांव पहुंचे तो पूरे रसौली गांव में मातम फैल गया। सूचना मिलते ही पानापुर थाना पुलिस व स्थानीय जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए छपरा सदर अस्पताल भेज दिया।
फिलहाल इस मामले में मृतक के स्वजनों की ओर से कोई लिखित शिकायत थाना में नहीं दी गई है। पुलिस का कहना है कि परिवार के आवेदन के बाद मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि दरोगा साह की मौत से गांव में आक्रोश है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है।
घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि गांवों में बढ़ते छोटे-छोटे विवाद किस तरह अचानक जानलेवा हिंसा का रूप ले लेते हैं। शांतिप्रिय बुजुर्ग की मौत से गांव में शोक के साथ-साथ असुरक्षा की भावना भी गहरी हो गई है।

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