Saran Assembly Election: महिला मतदाता का कमाल, चार चुनावों में बदला सारण का समीकरण
सारण विधानसभा क्षेत्र में महिला मतदाताओं ने पिछले चार चुनावों में राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। महिला मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी ने चुनावी नतीजों को अप्रत्याशित रूप से प्रभावित किया है। राजनीतिक दलों को महिला मतदाताओं को ध्यान में रखकर रणनीति बनाने पर मजबूर होना पड़ा है। महिला सशक्तिकरण और उनकी समस्याओं के समाधान पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

बिहार में महिला वोटर। फाइल फोटो
अमृतेश, छपरा। सारण की सियासत में अब नई पटकथा लिखी जा रही है। कल तक जो महिलाएं सियासी भीड़ का हिस्सा मानी जाती थीं, आज वही लोकतंत्र की दिशा तय कर रही हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने बूथ से लेकर बैलेट तक अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई।
पुरुषों से करीब नौ प्रतिशत अधिक मतदान कर उन्होंने न सिर्फ रिकार्ड बनाया, बल्कि साफ संदेश भी दे दिया कि अब सारण की सत्ता की चाबी उनके हाथों में है। विधानसभा चुनाव 2025 में पहली बार ऐसा हुआ जब महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से लगभग नौ प्रतिशत अधिक दर्ज किया गया।
कुल 63.86 प्रतिशत मतदान में महिलाओं ने 68.26 प्रतिशत और पुरुषों ने 59.93 प्रतिशत वोट डाला। यह आंकड़ा न सिर्फ मतदान में महिलाओं की बढ़ती सक्रियता को दर्शाता है, बल्कि राजनीतिक समीकरणों को भी नए सिरे से परिभाषित कर रहा है।
2010 से 2025 तक महिला मतदाता बनी गेम चेंजर
यदि पिछले चार विधानसभा चुनावों की बात करें तो रुझान साफ है, सारण में महिलाओं ने हर बार मतदान में नई ऊंचाई छुई है। वर्ष 2010 में महिलाओं का मतदान प्रतिशत था 54.8, जबकि पुरुषों का 52.5,2015 में महिलाओं ने 60.4 प्रतिशत मतदान कर पुरुषों (54.5) को पीछे छोड़ दिया।
2020 में महिलाओं का प्रतिशत 59.7 रहा, जो पुरुषों के 54.6 प्रतिशत से फिर आगे था,और अब 2025 में यह अंतर और चौड़ा हो गया महिलाओं का 68.26 प्रतिशत बनाम पुरुषों का 59.93 प्रतिशत लगातार चार चुनावों में यह रुझान बताता है कि सारण की राजनीति में अब महिलाएं सिर्फ मतदाता नहीं, बल्कि निर्णय निर्माता बन चुकी हैं।
महिला जागरूकता व स्थानीय मुद्दों का प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महिलाओं में बढ़ती शिक्षा,आत्मनिर्भरता योजनाओं और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का सीधा असर मतदान व्यवहार पर पड़ा है। सारण की ग्रामीण महिलाओं में वोट मेरा अधिकार की सोच तेजी से मजबूत हुई है।
स्वयं सहायता समूह, पंचायत प्रतिनिधित्व और बेटी-पत्नी तक पहुंची सरकारी योजनाओं ने महिलाओं को सामाजिक रूप से सशक्त किया है, जिसका असर अब बूथों पर भी दिख रहा है।
पुरुष मतदाताओं में ठहराव, महिलाएं दिखीं ज्यादा मुखर
जहां पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत पिछले 15 वर्षों में मुश्किल से सात प्रतिशत बढ़ा, वहीं महिलाओं में यह वृद्धि करीब 14 प्रतिशत की रही।पुरुष मतदाताओं का रुझान 2010 के बाद से लगभग स्थिर रहा है, लेकिन महिलाओं ने हर बार रिकार्ड तोड़ा।
राजनीतिक दलों के लिए यह संकेत है कि उन्हें अपने एजेंडे में महिलाओं से जुड़े मुद्दों जैसे सुरक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई और रोजगार को प्रमुखता देनी होगी।
सारण की सियासत में अब महिला वोट बैंक की गूंज
2025 का चुनाव यह स्पष्ट संदेश दे गया कि महिलाओं को साधे बिना सारण की सत्ता की राह आसान नहीं।गांव से लेकर शहर तक हर बूथ पर महिलाओं की कतारें लंबी दिखीं। अब राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की रणनीति भी बदल रही है, कोई महिला सशक्तिकरण योजनाओं की चर्चा कर रहा है तो कोई महिला कार्यकर्ताओं के नेटवर्क पर जोर दे रहा है।
लोकतंत्र की दिशा कर रही है तय
सारण की सियासत अब पुरुष बहुल नहीं रही। 2010 से 2025 की यह यात्रा बताती है कि महिलाएं न सिर्फ मतदान कर रही हैं,बल्कि लोकतंत्र की दिशा तय कर रही हैं।चुनावी पंडितों का कहना है-अब चुनावी जीत की चाबी महिला मतदाताओं के पास है।
सारण की धरती पर लोकतंत्र की यह नई लहर महिला वोट क्रांति के रूप में दर्ज हो चुकी है। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने लोकतंत्र की परंपरा को और मजबूत किया है। अबकी बार महिलाओं का वोट ही तय करेगा कि कौन सदन में जाएगा।
सारण में विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत
| वर्ष | पुरुष वोट प्रतिशत | महिला वोट प्रतिशत | कुल मतदान प्रतिशत |
|---|---|---|---|
| 2010 | 52.50 | 54.80 | 53.60 |
| 2015 | 54.50 | 60.40 | 57.20 |
| 2020 | 54.60 | 59.70 | 56.10 |
| 2025 | 59.93 | 68.26 | 63.86 |

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