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    स्वामी सहजानंद सरस्वती ने हरिहरक्षेत्र मेले में की थी किसान सभा की स्थापना

    पौराणिक हरिहरक्षेत्र मेला देश में किसान आंदोलन को जन्म देने का गवाह भी रहा है। इसी मेले में करीब 90 साल पहले स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसान सभा की स्थापना की थी। प्रांतीय स्तर पर गठित किसान सभा बाद में राष्ट्रीय स्वरूप धारण कर देश में किसान आंदोलन का अगुआ बना।

    By JagranEdited By: Updated: Sun, 01 Dec 2019 06:25 PM (IST)
    स्वामी सहजानंद सरस्वती ने हरिहरक्षेत्र मेले में की थी किसान सभा की स्थापना

    डॉ चंद्रभूषण शशि, छपरा : पौराणिक हरिहरक्षेत्र मेला देश में किसान आंदोलन को जन्म देने का गवाह भी रहा है। इसी मेले में करीब 90 साल पहले स्वामी सहजानंद सरस्वती ने किसान सभा की स्थापना की थी। प्रांतीय स्तर पर गठित किसान सभा बाद में राष्ट्रीय स्वरूप धारण कर देश में किसान आंदोलन का अगुआ बना। आवागमन और संचार माध्यमों की कमी के कारण यह मेला राज्य और देश के दूसरे हिस्से के लोगों से जुड़ने और सीधा संवाद करने का सबसे बड़ा माध्यम था।

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    हरिहरक्षेत्र मेल ने मुगल शासन और ब्रिटिश काल में भी अनेक बड़े क्रांति का सूत्रपात किया, जिसका व्यापक असर देश और दुनिया के इतिहास में देखा जा सकता है। मेले को अनेक बड़े बदलाव में अगुआ बनने का भी गौरव प्राप्त है।

    इतिहास के पन्नों को देखें तो किसान हित की लड़ाई लड़ रहे स्वामी सहजानंद सरस्वती ने भी जब एक सशक्त किसान संगठन की आवश्यकता महसूस की तो उन्होंने इसके लिए हरिहरक्षेत्र मेले का ही चयन किया। सन 1929 में 17 नवंबर को उन्होंने इसी मेले में वृहद किसान सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें प्रांतीय किसान सभा की स्थापना हुई। इसके प्रथम अध्यक्ष स्वामी सहजानंद सरस्वती और महामंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह चुने गए थे। वहीं देश के प्रथम राष्ट्रपति रहे डॉ राजेंद्र प्रसाद, बिहार विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष रहे रामदयालू सिंह, वरिष्ठ कांग्रेसी अनुग्रह नारायण सिंह आदि इसके कार्यकारिणी सदस्य बने। इस सम्मेलन में तत्कालीन ब्रिटिश शासन के किसान विरोधी काश्तकारी बिल पर मुख्य वक्ता रामवृक्ष बेनीपुर ने जमकर प्रहार किया था और यहीं से इसके खिलाफ व्यापक आंदोलन का आगाज हुआ।

    स्वामी जी ने खुद अपनी पुस्तक 'मेरा जीवन मेरा संघर्ष' में भी इसकी चर्चा की है। उन्होंने लिखा है कि मेले से शुरू आंदोलन का असर यह रहा कि तत्कालीन शासन ने किसानों के लिए इस खतरनाक बिल को वापस ले लिया। हाजीपुर में संगम तट पर विराट किसान सम्मेलन का स्वरूप देखकर ही शासन ने कुछ वर्षो के अंदर जमींदारी प्रथा को सदा-सदा के लिए समाप्त कर दिया गया। कहते हैं कि प्रांतीय किसान सभा के आंदोलन की सफलता मिलने से उत्साहित देश भर के किसान एकजुट होने लगे और 11 अप्रैल 1936 को लखनउ में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय किसान कांग्रेस की स्थापना की गई। सम्मेलन में स्वामी जी अध्यक्ष और आंध्रप्रदेश के वरिष्ठ किसान नेता आचार्य एनपी रंगा महासचिव चुने गए। इस प्रथम सम्मेलन में पंडित जवाहर लाल नेहरू भी शामिल हुए थे। बाद में संगठन का नाम बदलकर अखिल भारतीय किसान सभा कर दिया गया। संगठन के संस्थापकों में गुजरात के किसान नेता इंदुलाल याज्ञनिक, एमएस नमुदरीपाद, बाबा सोहनलाल भखना, बंकिम मुखर्जी, आचार्य नरेंद्र देव, जयप्रकाश नारायण, जेडए अहमद, पंडिय यमुना कार्यी आदि शामिल थे।