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तंत्र के गण: 12 हजार की नौकरी छोड़ घर पहुंचे रंजीत, खेती-किसानी से कमा रहे सलाना 12 लाख रुपये

मुख्यमंत्री उद्यमी योजना व जैविक सब्जी की खेती ने दरियापुर के रंजीत सिंह को तंगहाली से निजात दिलाई है। अब वे गांव में रहकर मोटी कमाई करने के साथ ही खेती से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के इच्छुक किसानों के लिए प्रेरक बन गए हैं।

By rajeev kumarEdited By: Yogesh SahuPublished: Wed, 25 Jan 2023 10:37 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jan 2023 10:37 PM (IST)
तंत्र के गण: 12 हजार की नौकरी छोड़ घर पहुंचे रंजीत, खेती-किसानी से कमा रहे सलाना 12 लाख रुपये
तंत्र के गण: 12 हजार की नौकरी छोड़ घर पहुंचे रंजीत, खेती-किसानी से कमा रहे सलाना 12 लाख रुपये

दिनेश चंद्र द्विवेदी, दरियापुर। तंगी हालत में दूसरे प्रदेश में मजदूरी करने पर मिल रहे 12 हजार रुपये की नौकरी छोड़ घर लौटे रंजीत आज घर पर खेती कर 12 लाख रुपये सलाना कमा रहे हैं। उनके यहां करीब एक दर्जन मजदूर आज रोजगार पा रहे हैं।

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दरियापुर प्रखंड के खानपुर गांव निवासी रंजीत सिंह को जैविक सब्जी खेती ने तंगहाली से निजात दिलाई। आज वे गांव में रहकर मोटी कमाई के साथ ही खेती से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के इच्छुक किसानों के लिए प्रेरक बन गए हैं।

दरियापुर प्रखंड के सुल्तानपुर, भरहापुर, सखनौली, मटिहान, छोटामी, दरिहारा, अकिलपुर गांव सहित गड़खा एवं मकेर प्रखंड क्षेत्र के कई किसान इनसे जैविक खेती की जानकारी लेने आते हैं। रंजीत सिंह के बताए अनुसार कई गांव में किसान जैविक सब्जी की खेती कर रहे हैं।

ट्रांसपोर्ट कंपनी एवं लोहा फैक्ट्री मैं मजदूरी करते थे रंजीत

परिवार की माली हालत अच्छी नहीं होने के कारण वर्ष 1995 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद रंजीत प्राइवेट कंपनी में नौकरी की तलाश में बाहर चले गए। कम पढ़ा-लिखा होने के कारण इसमें भी कठिनाई का सामना करना पड़ा। पहले दिल्ली की स्पोर्ट्स कंपनी में मजदूरी की।

10 घंटे काम करने के एवज में महज 12 हजार मजदूरी पाते थे। फिर दिल्ली छोड़कर इंदौर गए। वहां एक लोहा फैक्ट्री में मजदूरी की, लेकिन मेहनत के हिसाब से मजदूरी नहीं मिल रही थी। परिवार को वे रुपये नहीं दे पा रहे थे। इसके बाद में गांव लौट गए और एक बार फिर खेती में जुटे।

2014 में शुरू की सब्जी की जैविक खेती

मुख्यमंत्री उद्यम योजना के तहत पाॅली हाउस व पाॅली नेट बोरिंग सोलर हाउस आदि का इंतजाम कर वर्ष 2014 में जैविक खेती शुरू की। इस दौरान ब्रोकली, लाल गोभी, पीली गोभी, स्ट्रॉबेरी, शिमला मिर्च, चुकंदर, जापानी खेला ड्रैगन फ्रूट आदि की खेती शुरू की। इस जैविक खेती ने ही उन्हें विशिष्ट किसान बनाने के साथ ही जैविक खेती का प्रेरक बनाया। उनसे प्रेरणा लेकर आसपास के किसानों ने भी जैविक खेती करना शुरू कर दी है।

प्रति किलो व प्रति पीस की दर

  • ब्रोकली- प्रति पीस 40 रुपये, प्रति दिन 100 पीस- 4000 रुपये
  • लाल व पीला गोबी- 50 रुपये पीस, दो दिनों पर- 200 पीस-10 हजार रुपये
  • शिमला मिर्च- 50-60 किलोग्राम-3000 रुपये, 
  • एस्ट्राेबेरी- प्रति किलो ग्राम 300-3000 रुपये

मंडियों में ट्रांसपोर्ट के जरिए भेजी जाती है सब्जी

पटना, छपरा, भागलपुर, हाजीपुर, बोकारो की मंडियों में सब्जी भेजी जाती है। विशेष खेती के लिए पटना कृषि विभाग, राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय समस्तीपुर पूसा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात में सम्मानित किए गए हैं।


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