Bihar News: अफ्रीका के गिन्नी में दौड़ेंगे बिहार में बने रेल इंजन, जून के अंत तक भेजी जाएगी पहली खेप
सारण के मढ़ौरा स्थित रेल इंजन कारखाना अब सबसे आधुनिक रेल इंजन बनाने वाली कंपनी बन गई है। यहाँ निर्मित इंजन अफ्रीका के गिन्नी में भेजे जाएंगे जिसके लिए गिन्नी सरकार ने सौ इंजन का अनुबंध किया है। पहली खेप जून माह के अंत तक भेजी जाएगी। डब्ल्यूएलपीएल मढ़ौरा लोकोमोटिव रेल इंजन प्लांट से 4500 एचपी लोकोमोटिव का निर्यात होगा। 26 मई को डब्ल्यूएलपीएल मढ़ौरा में इंजन का नामकरण होगा।

पंकज कुमार पांडेय, मढ़ौरा (सारण)। सारण जिले के मढौरा स्थित रेल इंजन कारखाना देश मे सबसे अत्याधुनिक रेल इंजन बनाने वाली कंपनी बन गई है।
इस रेल इंजन फैक्ट्री ने विश्व पटल पर अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी है। बड़ी बात यह है कि मढ़ौरा में निर्मित इंजन अफ्रीका के गिन्नी में भेजा जाएगा।
जून से अफ्रीका के गिन्नी में मढ़ौरा में निर्मित इंजन दौड़ने लगेगा। इसके लिए वहां की सरकार ने मढ़ौरा एब्ल्यूएलपीएल से सौ इंजन खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट किया है।
जिसकी पहली खेप जून माह के अंत तक अफ्रीकी देश गिनी के सिमांडू प्रोजेक्ट के लिए भेजी जाएगी। बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने अपने एक्स हैंडल के माध्यम से जानकारी दी है।
उन्होंने बताया कि मढ़ौरा में स्थित स्थित डब्ल्यूएलपीएल मढ़ौरा लोकाेमोटिव रेल इंजन प्लांट के इसी कारखाने से अफ्रीकी देश गिनी के सिमांडु प्रोजेक्ट के लिए 4500 एचपी लोकोमोटिव का निर्यात किया जाने वाला है। सौ इंजन की मांग है और पहली खेप जून माह के अंत तक अफ्रीकी देश गिनी के लिए रवाना हो जायेगी।
26 मई को डब्ल्यूएलपीएल मढ़ौरा में इंजन का होगा नामकरण
इससे पहले इसके नामकरण के लिए 26 मई को डब्ल्यूएलपीएल मढ़ौरा लोकोमोटिव में एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जायेगा।
यह प्लांट अमेरिकी कंपनी वेबटेक और भारत सरकार के रेल मंत्रालय का संयुक्त उपक्रम है। उद्योग मंत्री मिश्र ने एक्स हैंडल पर लिखा है कि पिछले दिनों अमेरिकी कम्पनी वेबटेक के दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के प्रबंध निदेशक संदीप सेलोट ने मुझसे मुलाकात कर इस प्रोजेक्टे की जानकारी दी थी।
भारतीय रेल को 700 सप्लाई कर चुका है इंजन
मढ़ौरा रेल इंजन कारखाना जिसे डब्ल्यूएलपीएल मढ़ौरा लोकोमोटिव प्लांट के नाम से भी जाना जाता है। मढ़ौरा रेल इंजन कारखाना देश में सबसे आधुनिक रेल इंजन बनाने वाली कंपनी बन गई है और हाल ही में 700वां रेल इंजन बनाकर रवाना किया गया।
यह कारखाना 4500 हॉर्स पावर और 6000 हॉर्स पावर के डीजल रेल इंजन बनाती है। भारतीय रेल को लगभग 700 इंजनों की आपूर्ति कर चुका है।
यह आंध्र प्रदेश में भेजा गया था। मढ़ौरा में बनने वाले डीजल रेल इंजन पर्यावरण के लिए बेहतर होते हैं और अंतरराष्ट्रीय उत्सर्जन मानक को पूरा करते हैं।
270 एकड़ जमीन पर फैला है रेल इंजन कारखाना
मढ़ौरा रेल इंजन कारखाना 270 एकड़ जमीन पर फैला हुआ है, जबकि इसका उत्पादन संयंत्र 70 एकड़ में स्थापित है।
यह कारखाना 17 सितंबर 2018 से उत्पादन शुरू कर चुका है। इस फैक्ट्री में लगभग 600 कुशल कर्मचारी और इंजीनियर काम करते हैं।
यह कारखाना 10 साल के अंदर 1000 डीजल रेल इंजन बनाकर देने के लिए भारतीय रेल के साथ करार किया है। 2028 तक इसे भारतीय रेल को करीब 1000 इंजनों की आपूर्ति करनी है।
नामकरण में मढ़ौरा शामिल होने की जगी आस
26 मई को विदेश में सप्लाई होने पूर्व मंत्रालय व एक कंपनी ने नामकरण के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया है। जिससे स्थानीय लोगों में आस जगी है कि उनकी धरती के बदलौत इंजन पर 26 मई मढ़ौरा अंकित हो जाएगा।
मढ़ौरा में बनने वाले रेल इंजनों पर गुजरात के गांधीधाम व उत्तर प्रदेश के रोजा और अब आंध्र प्रदेश के पुट्टी का नाम लिखा जा रहा है, लेकिन लाख प्रयास व आश्वासनों के बाद भी इंजन पर कहीं भी मढ़ौरा का नाम नहीं लिखे जाने का मलाल यहां के लोगों को हमेशा परेशान करता है।
इंजन पर मढ़ौरा का नाम अंकित करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि हर्षवर्धन के नेतृत्व में किसानों व जनप्रतिनिधियों ने सांसद राजीव प्रताप रूडी एवं अन्य संबंधित विभाग को ज्ञापन सौंपा था।
मढ़ौरा के लोगों का कहना है कि उनके यहां बनने वाले इंजन ओर दूसरे जगह का नाम लिखा जाना नाइंसाफी है। विधायक जितेंद्र कुमार राय ने भी रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर इंजन में मढ़ौरा अंकित करने की मांग की है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।