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    Bihar Jeevika Didi: बिहार में अब जीविका की महिलाएं बनेंगी पशु सखी, करेंगी इलाज; 5 दिन होगी ट्रेनिंग

    Updated: Wed, 21 May 2025 04:13 PM (IST)

    छपरा सारण में जीविका से जुड़ी महिलाएं अब पशु सखी बनकर पशुओं का इलाज करेंगी। उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे पशुपालन से जुड़ी बीमारियों का समाधान कर सकें और डेयरी उद्योग को बढ़ावा दे सकें। प्रशिक्षण के बाद वे गांवों में जाकर बीमार बकरियों की रक्षा करेंगी और पशुपालकों को सहायता प्रदान करेंगी जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।

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    सारण में किट के साथ पशु सखी। सौ. स्वयं

    अमृतेश, छपरा। सारण जिले में जीविका से जुड़ी महिलाएं पशु सखी बनकर पशुओं का उपचार करेंगी। इसके तहत पशुपालन से संबंधित छोटी-मोटी बीमारियों का निस्तारण करने एवं डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अब जीविका की महिलाओं को को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अब जीविका की महिलाएं पशु सखी के तौर पर जानी जाएंगी।

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    इसके लिए उन्हें शिक्षण और प्रशिक्षण केंद्र में पांच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पहले स्तर पर पशु सखी को बकरी के बीमारी एवं उपचार के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दूसरे पेज में गाय एवं अन्य बड़े पशुओं के बीमारी एवं उपचार का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

    जीविका के प्रबंधक पशुधन (प्रभारी) अजय कुमार बताते ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं अपने-अपने प्रखंड क्षेत्र की पंचायतों में घूम घूम कर बीमार बकरियों को बीमारियों से बचाएगी। ग्रामीण स्तर पर पशुपालन लोगों के लिए रोजगार का एक अच्छा साधन है।

    पशुपालन को बढ़ावा देन के लिए जीविका दीदियों को बकरियों को विभिन्न तरह के बीमारियों से बचाने के लिए इन्हें वैक्सीन देने, उसका डिबेर्मिंग एवं बंध्याकरण आदी जानकारी दी जा रही है, ताकि वे अपने स्तर से बीमार पशुओं का इलाज कर सकें। पशुपालन को बढ़ावा देने से लाेगों की आमदनी बढ़ेगी।

    गरीबों के लिए बकरी पालन, कम पूंजी में यह व्यवसाय एटीएम का काम करेगा। गरीब से गरीब लोग भी सहजता से बकरी पालन का काम कर सकते हैं। जीविका की महिलाएं जब पशु सखी बन छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज में दक्ष हो जाएंगी तो पशुपालकों को भी इसका लाभ मिलेगा।

    13 प्रखंडों में किया गया है पशु सखी का चयन

    पशु सखी माडल बिहार राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बीआरएलपीएस) जीविका का एक अभिनव कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को पशुपालन सेवाओं में प्रशिक्षित कर स्वरोजगार और सशक्तिकरण के अवसर प्रदान करना है।

    इसके तहत सारण जिले के 13प्रखंडों में पशु सखी के लिए जीविका की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। पशु सखी एक प्रशिक्षित ग्रामीण महिला जो पशुओं की देखभाल, प्राथमिक उपचार, टीकाकरण, कृमिनाशन आदि सेवाएं प्रदान करती है।

    इनको जीविका द्वारा विभिन्न चरणों में पशुपालन, डेयरी प्रबंधन, प्राथमिक पशु चिकित्सा सेवाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा।पशु सखी प्रति सेवा शुल्क के माध्यम से आय अर्जित करती हैं। साथ ही,वे स्वयं की पहचान और सम्मान प्राप्त कर रही है।

    पशु सखी:-

    सेवाएं:

    • प्राथमिक पशु चिकित्सा सेवा
    • कृमिनाशन व टीकाकरण
    • पशु पोषण और प्रजनन सलाह
    • दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की तकनीक
    • पशुपालकों को सरकारी योजनाओं की जानकारी

    समुदाय पर प्रभाव:

    • पशुओं की मृत्यु दर में कमी
    • दूध उत्पादन में वृद्धि
    • महिला नेतृत्व का विकास
    • ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार

    किस प्रखंड में कितनी पशु सखी है?

    प्रखंड पशु सखी की संख्या
    अमनौर 10
    जलालपुर 10
    मांझी 10
    तरैया 10
    मशरक 10
    दरियापुर 10
    बनियापुर 10
    एकमा 10
    पानापुर 10
    परसा 10
    सोनपुर 10
    रिविलगंज 05
    छपरा सदर 05

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