Voter Adhikar Yatra: सारण में महागठबंधन ने दिखाई एकता, बिना भाषण के दिया बड़ा संदेश
छपरा में महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा में उमड़ी भीड़ ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए विपक्ष की एकता का संदेश दिया। यात्रा में राहुल गांधी तेजस्वी यादव समेत कई दिग्गज नेता शामिल हुए। बिना भाषण के यह यात्रा मतदाताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करने का एक प्रयास था जिससे महागठबंधन ने चुनावी एकजुटता का प्रदर्शन किया।

जागरण संवाददाता, छपरा। प्रमंडलीय मुख्यालय शहर छपरा में शनिवार को ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला। एक दिन पहले तक इसे महज एक राजनीतिक यात्रा के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन वोटर अधिकार यात्रा के दिन यहां पर उमड़ा जनसैलाब यह बता रहा था कि यह सिर्फ एक राजनीतिक आयोजन नहीं, बल्कि महागठबंधन की एकता और आगामी बिहार विधानसभा की चुनाव तैयारियों का साफ संकेत था।
यह यात्रा सारण में न केवल एक राष्ट्रीय मुद्दे के रूप में उठकर सामने आया, बल्कि स्थानीय राजनीति में भी यह संदेश देने में सहायक बन गई कि विपक्ष एकजुट है और आगामी विधानसभा चुनाव में मजबूत चुनौती देने को तैयार है।
इस यात्रा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, राजद के तेजस्वी यादव, राेहिणी आचार्य, वामपंथी दीपाकंर भट्टाचार्य और वीआईपी के मुकेश सहनी आदि जैसे गठबंधन के दिग्गज नेता शामिल थे।
जनसैलाब और महागठबंधन का एकजुटता संदेश
यात्रा की खासियत यह रही कि इसमें किसी भी नेता ने भाषण नहीं दिया। केन्द्र और राज्य की सत्ताधारी सरकार के खिलाफ न तो कोई कटाक्ष था और न एनडीए नीति पर कोई सीधा आरोप लगाया गया।
यात्रा का स्वरूप केवल प्रतिकात्मक था - हाथों में कांग्रेस, राजद, बामदल और वीआईपी का झंडा लिए लोग जोश भरे नारे लगा रहे थे। चाय की दुकानों पर, सड़कों के किनारे और चौराहों पर खड़े लोगों को इस यात्रा ने अपने साथ जोड़ लिया।
यह यात्रा महज एक रोड शो नहीं थी, बल्कि चुनावी रणनीति का हिस्सा बन चुकी थी, जहां महागठबंधन के विभिन्न दलों के लोग अपनी एकजुटता का संदेश देने में सफल रहे।
सारण मंच से नेताओं का कोई संबोधन नहीं
सारण में वोटर अधिकार यात्रा करीब 45 किलोमीटर एकमा से डोरीगंज तक हुई और छपरा शहर होकर गुजरी। जगह-जगह मंच तो बने थे लेकिन किसी भी मंच से किसी नेता का सार्वजनिक संबोधन नहीं हुआ।
मंच पर खड़ा होकर कोई नेता भाषण नहीं दे रहा था और न कोई प्रचार सामग्री बांटी जा रही थी। यह पूरी यात्रा महज एक प्रतिकात्मक अभिवादन थी, जहां नेताओं ने कार्यकर्ता और आम लोगों से जुड़कर उनका उत्साह बढ़ाया। उनकी उम्मीदों, उनकी समस्याओं और उनके सपनों को समझने की कोशिश की।
यात्रा का उद्देश्य केवल वोटर जागरूकता
वोटर अधिकार यात्रा का मुख्य उद्देश्य वोटरों को उनके अधिकार के प्रति जागरूक करना और चुनावी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना था।
सारण जैसे राजनीति सुचिता वाली धरती, जहां स्थानीय मुद्दे और नेताओं की चर्चा अधिक होती है, वहां यह यात्रा मतदाताओं को यह बताने की कोशिश कर रही थी कि उनकी वोट के अधिकार और ताकत को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
देश में बढ़ती राजनीति असहमति और लोकतांत्रिक संस्थानों पर दबाव जैसे सियासी जुमलों के बीच, यह यात्रा एक संकेत था कि महागठबंधन की एकजुटता और वोटरों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
महागठबंधन का व्यापक सियासी संदेश
सारण के राजनीतिक विशेषज्ञों का इस यात्रा को देखने के बाद यह प्रतिक्रिया रही कि इसका संदेश व्यापक रहा। उनकी माने तो इस यात्रा का सबसे बड़ा संदेश यह था कि महागठबंधन ने चुनावी एकजुटता को अपने मुख्य एजेंडा के रूप में सोमने रखा है।
विपक्षी दलों के इस साझा रणनीति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे बिहार के आने वाले विधानसभा चुनाव में एक मजबूत, संगाठनिक मोर्चा प्रस्तुत करने को तैयार हैं।
यह यात्रा जनता से सीधे जुड़ने का प्रयास था, जिसका उद्देश्य न सिर्फ बिहार विधानसभा चुनाव में विजय हासिल करना है, बल्कि इसके माध्यम से देश भर में भाजपा के खिलाफ मजबूत विकल्प खड़ा करना भी है।
छपरा की सड़कों पर उतरा जनसैलाब महज एक राजनीतिक यात्रा का हिस्सा नहीं था, बल्कि विपक्ष की एकता और की लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति एक सशक्त संदेश था।
आने वाले समय में इस वोटर अधिकार यात्रा की यह छाप महागठबंधन के चुनावी प्रचार में एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में सामने आ सकती है।
राजनीतिक पंडितों की माने तो जबतक चुनावी माहौल और सियासी बयार चलती रहेगी, इस यात्रा का राजनीतिक महत्व न केवल बिहार बल्कि देश भर में सामने देखा जायेगा।
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