जेपीयू छपरा के कुलपति डा. फारूक अली को मिला वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार
सारण। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फारूक अली अब नीतिगत फैसले ले सकेंगे। उन्हें राजभवन ने वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार दे दिया है। राजभवन के संयुक्त सचिव प्रवीण कुमार गुप्ता ने पत्र भेजा है। पत्र में कुलपति को राजभवन ने बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत कार्य करने का निर्देश दिया है। वीसी को वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार मिलने पर विश्वविद्यालय के कर्मी एवं पदाधिकारियों ने पुष्पगुच्छ देकर उन्हें सम्मानित किया।
जेपीविवि के कुलपति अब किसी प्रकार की नियुक्ति, सेलेक्शन व प्रमोशन कमेटी की बैठक, सीनेट व सिंडिकेट समेत एकेडमिक काउंसिल की बैठक, नयी नियुक्तियां व बहाली की प्रक्रिया और महत्वपूर्ण वित्तीय फैसले ले सकेंगे। इतना ही नहीं वे नये निर्माण व टेंडर की प्रक्रिया समेत विश्वविद्यालय के संदर्भ में अन्य कोई पॉलिसी निर्णय भी लेंगे। इसके पहले वे कोई भी कार्य करने एवं निर्णय लेने के बाद पहले कुलाधिपति से अनुमति लेते थे। राजभवन से अनुमति लेने के बाद ही वे कोई कार्य करते थे। इसके कारण कुलपति सीनेट व सीडिकेट, एकेडमी काउंसिल की बैठक तक नहीं कर पाते थे। उल्लेखनीय हो कि करीब दो साल से अधिक समय से कुलपति का वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार नहीं था। दैनिक जागरण ने 14 जुलाई के अंक में पेज चार पर जेपीयू के कुलपति डा. फारूक अली को जल्द मिलेगा वित्तीय व प्रशासनिक प्रभार शीर्षक से खबर प्रकाशित था।
खरीद सकेंगे सादी उत्तर पुस्तिका, जल्द होंगी लंबित परीक्षाएं :
वित्तीय अधिकार नहीं होने से विश्वविद्यालय में उत्तर पुस्तिका की खरीद नहीं हो पा रही थी। इसके कारण यहां की परीक्षाएं लंबित थीं। मालूम हो कि राजभवन ने जेपी विश्वविद्यालय के दैनिक वेतन भोगी एवं संविदा कर्मी को कई लाख रुपये अग्रिम देने एवं नये प्रशासनिक व वित्तीय अनियमितता की जांच कुलपतियों के तीन सदस्यीय कमेटी से कराई थी। कुलपति को वित्तीय अधिकार मिलने के बाद विश्वविद्यालय में विकास के कार्य समेत अन्य कोर्स शुरू होंगे। अब स्नातक तृतीय खंड की परीक्षाएं जल्द ही प्रारंभ हो सकेगी।
दो महीने में 71.70 करोड़ के वित्तीय लेन देन पर लगी थी रोक, चल रही थी जांच :
कुलपति प्रो. फारूक अली पर 71.70 करोड़ के वित्तीय लेनदेन (एक दिसंबर 2020 से लेकर 31 जनवरी 2021) की जांच चल रही थी। राजभवन के तीन सदस्यीय जांच कमेटी में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रसाद सिंह अध्यक्ष थे। सदस्य के रूप में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरिश कुमार चौधरी व कामेश्वर प्रसाद सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के वित्तीय सलाहकार सदस्य थे। विश्वविद्यालय के सूत्रों ने बताया कि इस मामले में पूरे कागजात के बाद कुलसचिव डा. रविप्रकाश बबलू समेत विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारियों से पूछताछ की गई थी। उसमें कुलसचिव समेत अन्य पदाधिकारियों ने कुलपति के पक्ष में अपना बयान दिया था। इसके बाद ही राजभवन ने कुलपति के पक्ष में निर्णय दिया है।