Bihar Government: नीतीश सरकार की नई पहल, अब प्रसव के 48 घंटे में मिलेगी जननी बाल सुरक्षा योजना की राशि
बिहार सरकार ने जननी बाल सुरक्षा योजना को सशक्त करते हुए प्रसूताओं को प्रोत्साहन राशि 48 घंटे में डीबीटी के माध्यम से भेजने की व्यवस्था की है। ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये और शहरी महिलाओं को 1000 रुपये की राशि दी जाती है। इस बदलाव से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिलेगा मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।

जागरण संवाददाता, छपरा। महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए बिहार सरकार ने जननी बाल सुरक्षा योजना को और सशक्त कर दिया है। अब प्रसव के बाद मिलने वाली प्रोत्साहन राशि सीधे डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) पोर्टल के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में 48 घंटे के भीतर भेजी जा रही है।
इस बदलाव से महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करने में मदद मिलेगी और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर 1,400 रुपये और शहरी क्षेत्रों की महिलाओं को 1,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। पहले यह राशि मिलने में कई दिन, कभी-कभी सप्ताह भी लग जाते थे, लेकिन अब डीबीटी की सुविधा ने प्रक्रिया को तेज़ और आसान बना दिया है।
नए डिजिटल बदलाव से न केवल भुगतान की गति बढ़ी है, बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित हुई है। राशि सीधे खाते में जाने से बिचौलियों की भूमिका पूरी तरह खत्म हो गई है। इससे लाभार्थियों को समय पर मदद मिल रही है और योजना के प्रति भरोसा भी बढ़ा है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि यह पहल महिलाओं को सुरक्षित और संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करेगी।
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि पहले राशि मिलने में हफ्तों का समय लग जाता था, लेकिन अब 48 घंटे के भीतर ही पैसा सीधे खाते में चला जाता है। इससे सरकारी अस्पतालों पर महिलाओं का विश्वास बढ़ा है और संस्थागत प्रसव की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि जिले की कोई भी महिला घर पर प्रसव करने को मजबूर न हो। आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य कर्मियों की मदद से हर गर्भवती महिला को अस्पताल में सुरक्षित प्रसव के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
इस योजना का उद्देश्य मातृ मृत्यु दर घटाना, शिशु मृत्यु दर पर नियंत्रण करना, प्रसव के बाद मां और बच्चे की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करना और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना है। लाभ पाने के लिए गर्भवती महिलाओं को आशा कार्यकर्ता की मदद से सरकारी अस्पताल में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। प्रसव के बाद आशा कार्यकर्ता द्वारा रिपोर्टिंग और सत्यापन के बाद राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेज दी जाती है।
इस कदम से गर्भवती और प्रसूता महिलाओं को त्वरित आर्थिक सहायता मिल रही है, जो प्रसव के बाद मां और शिशु की देखभाल में काफी उपयोगी साबित हो रही है। स्वास्थ्य विभाग को उम्मीद है कि यह बदलाव ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
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