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    Chhapra News: जंक्शन के सेकेंड एंट्री गेट के लिए करना होगा इंतजार, निर्माण कार्य में दिख रही है सुस्ती

    छपरा जंक्शन का उत्तरी प्रवेश द्वार अधूरा होने से यात्रियों को परेशानी हो रही है। रेलवे अधिकारियों ने छह महीने में काम पूरा करने का आश्वासन दिया लेकिन धीमी गति के कारण यह संभव नहीं लग रहा है। प्लेटफॉर्म पर बुनियादी सुविधाओं की कमी है और सर्कुलेटिंग एरिया भी विकसित नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों को इस गेट के शुरू होने से अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद है।

    By rajeev kumar Edited By: Ashish Mishra Updated: Fri, 04 Jul 2025 05:29 PM (IST)
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    छपरा जंक्शन के सेकेंड एंट्री गेट के लिए अभी और करना होगा इंतजार। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, छपरा। छपरा जंक्शन का उत्तरी प्रवेश द्वार (सेकेंड एंट्री गेट) अभी भी अधूरा है, जिससे यात्रियों और स्थानीय निवासियों को लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। रेलवे अधिकारियों द्वारा बार-बार छह महीने में काम पूरा होने का आश्वासन दिया जा रहा है।

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    आश्वासन के बाद भी धीमी गति को देखते हुए यह संभव नहीं लग रहा है। छपरा जंक्शन पर बने उत्तरी प्रवेश द्वार के स्टेशन भवन का निर्माण कार्य 528 वर्ग मीटर में फैला है, जिसमें पोर्टिको, वेटिंग हाल, विकलांग रैंप, पूछताछ, बुकिंग कार्यालय और शौचालय जैसी सुविधाएं शामिल हैं।

    यह भवन प्लेटफॉर्म नंबर आठ से जुड़ा हुआ है। हालांकि, इस प्लेटफॉर्म पर यात्री शेड, पीने के पानी की सुविधा, सीसीटीवी और कोच इंडिकेटर जैसी मूलभूत सुविधाओं की अभी भी कमी है।

    2600 वर्ग मीटर में फैला सर्कुलेटिंग एरिया, जहां यात्रियों के इकट्ठा होने, आने-जाने और स्टेशन में प्रवेश-निकास की व्यवस्था वाली जगह का कामअभी भी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है। यह क्षेत्र अभी भी बालू से भरा जा रहा है।

    बाउंड्री का निर्माण भी नहीं हुआ है। इस प्लेटफॉर्म से आने-जाने वाले यात्रियों को लेकर आने वाली सवारी गाड़ियां कच्ची और गीली मिट्टी में पार्क करने की मजबूरी का सामना करती हैं।

    प्लेटफॉर्म नंबर आठ से गुजरते हुए आगे बढ़ रही रेलवे ट्रैक और आम सड़क के बीच कोई सुरक्षा उपाय नहीं किए गए हैं।

    आश्वासन और वास्तविकता में दिखता है फर्क

    रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार और डीआरएम वाराणसी विनीत कुमार श्रीवास्तव सहित कई अधिकारियों ने छह महीने में काम पूरा होने का आश्वासन दिया है। हालांकि, निर्माण की धीमी गति को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि यह तय समय पर पूरा हो पाएगा।

    अभी कई भवन ईंट जोड़ने के दौर में ही हैं। प्लेटफॉर्म पर लोहे के गार्डर रखे हुए तो हैं, लेकिन उनकी वेल्डिंग का काम धीमा है। अधिकारियों के आने के समय जो टिकट बुकिंग काउंटर खुला मिलता है उनके जाते ही बंद हो जाता है।

    सेकेंड एंट्री गेट का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा प्रभाव

    सेकेंड एंट्री गेट के पूरी तरह से चालू होने का इंतजार सिर्फ रेल यात्री ही नहीं बल्कि इस इलाके के निवासी भी कर रहे हैं। इस गेट के शुरू होने से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।