Dehydration Rokne Ka Upay: भीषण गर्मी में डिहाइड्रेशन से कैसे बचें? पढ़िए डॉक्टर की यह सलाह
गर्मी के मौसम में उल्टी दस्त और डिहाइड्रेशन जैसी बीमारियां आम होती हैं। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए सतर्कता जरूरी है। गर्मी में तापमान में वृद्धि होने से डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है। खासकर बच्चे और बुजुर्ग इसके खतरे में अधिक होते हैं। तरल पदार्थों का जितना ज्यादा हो सके सेवन करने से डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता है।

जागरण संवाददाता, छपरा। Dehydration: बढ़ती गर्मी ने अप्रैल के प्रथम सप्ताह में ही अपनी तपिश से आने वाली प्रचंड गर्मी का संकेत दे दिया है। गर्मी में सबसे सामान्य बीमारी उल्टी दस्त से सबसे ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं । डिहाइड्रेशन के शिकार मरीज परेशानी में पड़ जाते हैं। छपरा के शिशु रोग विशेषज्ञ डाक्टर संदीप कुमार सिंह ने बताया कि गर्मी में डिहाइड्रेशन से ग्रस्त मरीजो की संख्या बढ़ जाती है।
इससे बचने के लिए सतर्कता जरूरी है। डाक्टर ने बताया कि गर्मी का मौसम आते ही तापमान में वृद्धि होने लगती है, जो डिहाइड्रेशन के खतरे को भी बढ़ा देती है।
डिहाइड्रेशन, यानी शरीर में पानी की कमी, एक गंभीर समस्या है जो लापरवाही बरतने पर जानलेवा भी हो सकती है। खासकर बच्चे और बुजुर्ग, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें डिहाइड्रेशन का खतरा अधिक होता है।
डिहाइड्रेशन के लक्षण
डिहाइड्रेशन के लक्षणों में प्यास लगना, मुंह सूखना, चक्कर आना, सिरदर्द, थकान, गहरे रंग का पेशाब होना या कम पेशाब आना जैसे लक्षण मरीज में दिखने लगते हैं।
इसलिए डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, धूप में निकलने के वक्त पूरा शरीर ढ़कना, गर्मी के मौसम में मौसमी फलों का भरपूर सेवन करना चाहिए।
तरल पदार्थों का जितना ज्यादा हो सके सेवन करने से डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता है। जैसे पानी के अलावा नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ, और फलों के रस जैसे तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। वयस्क लोगो को कैफीन से बचना चाहिये क्योंकि कैफीन शरीर को डिहाइड्रेट कर सकता हैं।
डिहाइड्रेशन से बचने के उपाय
चिकित्सक का कहना है कि गर्मी के मौसम में डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए सतर्क रहना बहुत जरूरी है। यदि आपको डिहाइड्रेशन के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। किसी को उल्टी या दस्त हो रहे हों तो शरीर में पानी की कमी होने से बचने के लिए उसे जीवन रक्षक घोल यानी ओआरएस का घोल पिलाने से भी राहत मिलती है लेकिन स्थिति बिगड़ने के पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर लेना चाहिए।
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